गुरनाम सिंह चढूनी ने जोर दिया कि केवल आंदोलन करना समाधान नहीं है। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह किसानों की मांगों को गंभीरता से सुने और मुआवजा जैसी उनकी प्रमुख मांगों को स्वीकार करे। उन्होंने नोएडा में चल रहे किसानों के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि वहां प्रदर्शन कर रहे किसानों की जायज मांगों को सरकार को मान लेना चाहिए।
बता दें कि, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चढूनी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उपराष्ट्रपति की भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता से अनबन हुई है, जिसके चलते उन्होंने यह बयान दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि पहले उपराष्ट्रपति ने किसानों की सुध क्यों नहीं ली। चढूनी ने कहा कि अब बयानबाजी से कोई हल नहीं निकलेगा, बल्कि बातचीत और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि वे आंदोलन में शारीरिक रूप से भले ही शामिल न हों, लेकिन उनका नैतिक समर्थन हमेशा किसानों के साथ रहेगा। उन्होंने किसान नेताओं को सलाह दी कि वे आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुटता के साथ संघर्ष करें। उनका मानना है कि किसान एकजुट होकर ही अपनी मांगें पूरी करवा सकते हैं।