Haryana Farmers: हरियाणा के झज्जर जिले के मदाना खुर्द गांव के किसान एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं। यहां के किसान पराली जलाने के बजाय उसे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अक्सर सुना जाता है कि किसान पराली जलाकर प्रदूषण बढ़ाते हैं, लेकिन मदाना खुर्द के किसान इससे अलग हैं। यहां के किसान धान की कटाई के बाद बचे हुए अवशेष को पहले पशु चारे के लिए उपयोग करते हैं। बाकी बची पराली को बेच देते हैं। इससे उन्हें प्रति एकड़ 2,000 से 2,500 रुपये मिलते हैं। यदि किसान मंडियों में बेचने जाते हैं, तो उन्हें 4,000 से 5,000 रुपये भी मिल सकते हैं।
गांव में पिछले तीन वर्षों से किसान अपनी पराली बेचने के लिए बाहर नहीं जाते। कुछ ग्रामीणों ने गांव में पराली निकालने की मशीनें उपलब्ध करवा दी हैं। किसान जब भी पराली निकालना चाहते हैं, मशीन उनके खेत में भेज दी जाती है। इससे उनका समय बचता है और उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं। मदाना खुर्द के किसान मानते हैं कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरक क्षमता खराब होती है। इसलिए पिछले 8-10 सालों में यहां पराली जलाने की घटनाएं नाममात्र की हुई हैं। किसान अब पराली को कमाई का साधन बना चुके हैं।
इस गांव के किसानों की यह अनोखी सोच अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। अगर अन्य किसान भी यहां आकर पराली प्रबंधन की विधियां सीखें, तो न केवल वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकेंगे।
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