Inkhabar Haryana, Jagdeep Dhankhar: दिल्ली-नोएडा सीमा पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शनों ने एक बार फिर देश का ध्यान कृषि संकट की ओर खींचा है। इन घटनाओं के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से तीखे सवाल किए।
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान, जहां वे केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ मंच साझा कर रहे थे, उपराष्ट्रपति ने किसानों के साथ बातचीत की कमी और उनके मुद्दों की अनदेखी पर नाराजगी जताई। उन्होंने स्पष्ट रूप से पूछा कि कृषि मंत्री, क्या आपके पहले के कृषि मंत्री ने किसानों से कोई लिखित वादा किया था? अगर हां, तो उस वादे का क्या हुआ?
उपराष्ट्रपति ने किसानों के मुद्दों को “गंभीर राष्ट्रीय चिंता” बताते हुए कहा कि उनकी समस्याओं की अनदेखी दोषपूर्ण नीति निर्धारण को दर्शाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी सरकार को किसानों के धैर्य की परीक्षा लेने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की कोई भी ताकत किसानों की आवाज को दबा नहीं सकती। अगर किसान के धैर्य की परीक्षा ली गई, तो इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ेगा।
धनखड़ ने यह भी सवाल उठाया कि अब तक किसानों के साथ बातचीत क्यों नहीं हुई। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि क्षेत्र और किसानों की समस्याओं का समाधान राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश के एकीकरण के कार्य को याद करते हुए शिवराज सिंह चौहान को किसानों की समस्याओं का समाधान करने की चुनौती को उसी स्तर का कार्य बताया। उन्होंने कहा कि आपकी जिम्मेदारी देश को एकजुट रखने वाली है। जब हम दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा ऊंची देख रहे हैं, तब हमारा किसान परेशान क्यों है?
इसी कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा कि किसान देश की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि एक समृद्ध भारत का निर्माण किसानों के बिना संभव नहीं है। हालांकि, उन्होंने चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया।