Inkhabar Haryana, Karnal News: खेती अब सिर्फ पारंपरिक तरीके तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि आधुनिक तकनीकों और संरक्षित खेती ने किसानों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। हरियाणा के कैथल जिले के गांव क्लासर की रहने वाली प्रगतिशील महिला किसान पूजा आर्य ने भी इसी सोच के साथ खेती का तरीका बदला और आज एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान बना चुकी हैं। अपने पति के साथ मिलकर उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर नेट हाउस में खीरा, शिमला मिर्च और मशरूम की खेती शुरू की। इससे न केवल उन्हें सालाना 30 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है, बल्कि उन्होंने 20 महिलाओं को रोजगार भी दिया है।
मेगा सब्जी एक्सपो में पेश की सफलता की मिसाल
करनाल के घरौंडा सब्जी उत्कृष्ट केंद्र में आयोजित 11वें मेगा सब्जी एक्सपो किसान मेले में पूजा आर्य भी अपने स्टॉल के साथ पहुंची। इस मेले में देशभर से प्रगतिशील किसान अपने नवाचार और आधुनिक खेती तकनीकों को साझा करने पहुंचे थे। पूजा आर्य ने अपनी सफलता की कहानी साझा करते हुए बताया कि 2018 से उन्होंने संरक्षित खेती शुरू की और आज तीन नेट हाउस में खीरा, रंग-बिरंगी शिमला मिर्च और सीजनल मशरूम की खेती कर रही हैं।
खेती में बदलाव
पूजा आर्य के पति पहले पारंपरिक रूप से गेहूं और धान की खेती करते थे, लेकिन इसमें अधिक मुनाफा नहीं हो रहा था। इसी बीच पूजा ने खेती में बदलाव की पहल की और अपने पति को नेट हाउस में खेती करने के लिए प्रेरित किया। इस परिवर्तन के बाद उन्होंने खीरा, शिमला मिर्च और मशरूम की खेती शुरू की, जिससे उनकी आमदनी में भारी इजाफा हुआ।
कैसे होती है नेट हाउस में खेती?
पूजा आर्य ने बताया कि उनका प्रमुख उत्पादन खीरा है, जिसे वे नेट हाउस में उगाती हैं। एक नेट हाउस से सालाना करीब 10 लाख रुपए का मुनाफा होता है।
शिमला मिर्च की खेती
- सबसे पहले अगस्त में शिमला मिर्च की पौध तैयार की जाती है।
- पौधे को नेट हाउस में लगाया जाता है और यह जनवरी-फरवरी तक तैयार हो जाती है।
खीरे की खेती
- फरवरी में नेट हाउस में खीरे की बुवाई की जाती है।
- खीरे की फसल 4-5 महीने तक चलती है और अच्छी पैदावार देती है।
मशरूम की खेती
सीजन के अनुसार मशरूम उगाए जाते हैं, जिससे अतिरिक्त आय होती है।
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