होम / गीता जयंती 2024: इस दिन हुआ था गीता का जन्म, जब श्रीकृष्ण ने दिया अर्जुन को अमर उपदेश, जानें महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

गीता जयंती 2024: इस दिन हुआ था गीता का जन्म, जब श्रीकृष्ण ने दिया अर्जुन को अमर उपदेश, जानें महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

BY: • LAST UPDATED : December 5, 2024
Inkhhabar Haryana, Geeta Jayanti 2024: गीता जयंती हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है। यह महाभारत के युद्ध के मैदान में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई दिव्य शिक्षाओं की याद में मनाया जाता है। इन शिक्षाओं ने मानवता को जीवन जीने का एक गहरा और व्यापक दर्शन दिया। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इस साल गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।

गीता का जन्म

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने लगभग 5,161 साल पहले कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया। अर्जुन अपने ही संबंधियों से युद्ध करने की दुविधा में थे और मानसिक द्वंद्व में फंसे थे। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें धर्म, कर्म और जीवन के उद्देश्य का उपदेश दिया। इन उपदेशों को श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में संकलित किया गया। गीता न केवल एक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को समझने का मार्गदर्शक भी है।

गीता जयंती का महत्व

गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन को जीने का एक मार्गदर्शन प्रदान करती है। इसमें कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग जैसे प्रमुख मार्गों का वर्णन मिलता है। गीता का अध्ययन और अनुकरण करने से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना दृढ़ता से कर सकता है। गीता जयंती के अवसर पर देशभर में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कुरुक्षेत्र, जहां गीता का अवतरण हुआ, वहां विशेष आयोजन होते हैं। ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में पवित्र स्नान के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

 

गीता जयंती के दिन पूजा और अनुष्ठानों के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:15 से 6:09 बजे तक
  • अमृत काल: सुबह 9:34 से 11:03 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 से 2:39 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:22 से 5:45 बजे तक

पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान श्रीकृष्ण और भगवद्गीता की पूजा करें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और गीता के श्लोकों का पाठ करें।
  • भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ भगवद्गीता को पूजास्थल में रखें।
  •  धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें और श्रीकृष्ण की आरती करें।
  •  व्रत रखें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान का स्मरण करें।

 

Gurugram News: फर्जी कॉल सेंटर का हुआ भंडाफोड़, ऐसे लोगों को बनाते थे शिकार