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Ambala News: हरियाणा में कई पुरस्कार जीतने वाला स्कूल होने वाला हैं बंद, जानें क्यों घट रही हैं विद्यार्थियों की संख्या

BY: • LAST UPDATED : May 20, 2025
Inkhabar Haryana, Ambala News: हरियाणा के अंबाला जिले के बराड़ा उपमंडल के गांव झाडूमाजरा स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय कभी अपनी उपलब्धियों के लिए प्रदेश और जिला स्तर पर छाया रहा करता था। शिक्षा, स्वच्छता, हरियाली और रचनात्मक प्रयासों के लिए राज्य भर में पुरस्कार जीतने वाले इस स्कूल की स्थिति आज इतनी दयनीय हो चुकी है कि वह बंद होने की कगार पर खड़ा है।

2018 में बदला था स्कूल का नक्शा

विद्यालय की कायापलट की कहानी 2018 में शुरू हुई जब हैडमास्टर प्रदीप कुमार ने यहां पदभार संभाला। उस समय स्कूल की हालत जर्जर थी—चारदीवारी टूटी हुई, परिसर में झाड़ियां और झूंड फैले थे। प्रदीप कुमार ने गांव के सरपंच के सहयोग से पूरे परिसर की सफाई करवाई, चारदीवारी बनवाई और गेट लगवाया। इसके बाद उन्होंने स्कूल को हरा-भरा और सुंदर बनाने के लिए लगातार पौधारोपण किया। उनका संकल्प इतना मजबूत था कि वे हर साल अपने जन्मदिन पर 100 पौधे स्कूल में लगाते हैं।

स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की मिसाल

विद्यालय में एक किचन गार्डन विकसित किया गया, जहाँ जैविक तरीके से सब्जियाँ उगाई जाती हैं। इन सब्जियों को मिड डे मील में बच्चों को परोसा जाता है। यहाँ तक कि केंचुओं की खाद तैयार कर स्कूल के प्रांगण को न सिर्फ हरित बनाया गया, बल्कि बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का व्यवहारिक पाठ भी पढ़ाया गया।

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यह हैं स्कूल की उपलब्धीयां

इस विद्यालय की उपलब्धियाँ किसी गौरवशाली संस्था से कम नहीं हैं:

2017-18: मुख्यमंत्री सौंदर्यीकरण प्रतियोगिता में जिला स्तर पर प्रथम स्थान

2018-19: शिक्षा विभाग की सक्षम योजना में हरियाणा राज्य में प्रथम स्थान, हिंदी विषय में छात्र ने पूरे प्रदेश में टॉप किया

2019-20: कोविड काल में भारत सरकार के स्वच्छता कार्यक्रम में जिला स्तर पर प्रथम

2020-21: मुख्यमंत्री सौंदर्य योजना में खंड स्तर पर प्रथम

2024-25: किचन गार्डन श्रेणी में प्रशंसा पुरस्कार (Appreciation Award)

इस वजह से कम होती जा रही बच्चों की कमी

प्रदीप कुमार का कहना है कि वे फिर से मुख्यमंत्री सौंदर्यीकरण प्रतियोगिता में भाग लेने की योजना बना रहे हैं।

आज का कटु सत्य: स्टाफ की कमी और घटती छात्र संख्या

इन सब प्रयासों के बावजूद विद्यालय की सबसे बड़ी समस्या आज भी बरकरार है—स्टाफ की भारी कमी।

प्राइमरी विंग: 35 छात्र, केवल एक शिक्षिका कविता

मिडल विंग: 38 छात्र, जिनकी पढ़ाई सोशल साइंस टीचर रवि कोंडल, पीटीआई कमलेश और हैडमास्टर प्रदीप कुमार खुद संभालते हैं

स्कूल में इन विषयों के नहीं टीचर

स्कूल में  साइंस, मैथ, संस्कृत और ड्राइंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं। लगातार प्रयासों और विभाग से बार-बार मांग के बावजूद इन पदों को अब तक भरा नहीं गया। परिणामस्वरूप, बच्चों की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों को अन्य स्कूलों में भेजने लगे हैं। प्रदीप कुमार कहते हैं कि वे हर वर्ष ग्रामीणों से यह कहकर बच्चों का नामांकन करवाते थे कि जल्द ही शिक्षक तैनात हो जाएंगे, पर वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला।