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Bhiwani News: हरियाणा में शिक्षा विभाग का बड़ा एक्शन, अब बिना मान्यता वाली एकेडमीज की नहीं खैर

BY: • LAST UPDATED : March 31, 2025

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Inkhabar Haryana, Bhiwani News: नई शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही हरियाणा शिक्षा विभाग एक्शन मोड में आ गया है। खासतौर पर भिवानी जिले में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने बिना मान्यता के संचालित हो रही एकेडमियों और स्कूल टाइम में कक्षाएं लेने वाली मान्यता प्राप्त एकेडमियों पर कड़ी कार्रवाई का ऐलान किया है। 15 दिनों के भीतर जिला भर में अभियान चलाकर इस प्रकार की संस्थानों पर शिकंजा कसा जाएगा।

बिना मान्यता स्कूल टाइम में कक्षाएं लेना पड़ेगा भारी

भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी एकेडमी संचालित नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी एकेडमी ने मान्यता ले भी रखी है, तो भी वह स्कूल टाइम में छात्रों को नहीं पढ़ा सकती। ऐसी एकेडमियां केवल स्कूल की छुट्टियों के बाद ही कक्षाएं चला सकती हैं। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

BEO की अध्यक्षता में बनी विशेष कमेटियां

शिक्षा विभाग ने जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) की अध्यक्षता में विशेष कमेटियां गठित की हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों में छापामारी करेंगी। इन कमेटियों को निर्देश दिया गया है कि वे 15 दिनों बाद जांच शुरू करें और नियमों का उल्लंघन करने वाली एकेडमियों पर कार्रवाई करें। पहली बार नियम तोड़ने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और यदि दूसरी बार शिकायत मिलती है, तो एकेडमी को सील कर संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर DEO का बयान

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस को लेकर पूछे गए सवाल पर DEO ने कहा कि जिले में ऐसा कोई भी प्राइवेट स्कूल नहीं है जो बिना अनुमति के फीस बढ़ाता हो। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि 99.9% सरकारी अध्यापकों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ते हैं। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार विभिन्न स्तरों पर सुधार कार्य कर रही है।

सरकारी स्कूलों से अधिक एकेडमियों में बढ़ती संख्या

सरकार और शिक्षा विभाग के दावों के बावजूद हर साल सरकारी स्कूलों की बजाय एकेडमियों में छात्रों की संख्या बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि एकेडमियों में शारीरिक गतिविधियों का अभाव रहता है और छात्रों पर नंबर लाने का अत्यधिक मानसिक दबाव बनाया जाता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग के सख्त कदम क्या वास्तव में प्रभावी साबित होंगे या फिर यह केवल एक औपचारिक कार्रवाई बनकर रह जाएगा।

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