InKhabar Haryana, Child Health: बच्चों के स्कूल जाने में आनाकानी करना एक सामान्य समस्या हो सकती है, लेकिन अगर यह समस्या बार-बार और लगातार हो रही है, तो यह गंभीर हो सकती है। ऐसी स्थिति में स्कूल जाने का डर एक मनोवैज्ञानिक विकार या फोबिया का संकेत हो सकता है, जिसे मेडिकल साइंस में ‘स्कोलियोनोफोबिया’ (Scolionophobia) कहते हैं।
स्कोलियोनोफोबिया से पीड़ित बच्चे अक्सर स्कूल जाने को लेकर अत्यधिक चिंतित रहते हैं और इससे शारीरिक समस्याएं जैसे पेट दर्द, सिर दर्द, मतली और उल्टी भी उत्पन्न हो सकती हैं। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब बच्चा रोजाना या अक्सर इन लक्षणों का बहाना बनाता है, और स्कूल का समय समाप्त होने के बाद ये लक्षण स्वयं ठीक हो जाते हैं।
डॉक्टर्स का कहना है कि स्कोलियोनोफोबिया उन बच्चों में अधिक देखने को मिलता है जिनके माता-पिता अत्यधिक सुरक्षात्मक होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 2-5% बच्चों को स्कूल फोबिया प्रभावित करता है, खासकर 5 से 8 साल के बच्चों में यह समस्या आम होती है। ऐसे बच्चों को अक्सर दस्त, सिरदर्द, पेटदर्द, कंपकंपी और अंधेरे का डर जैसे लक्षण हो सकते हैं।
स्कोलियोनोफोबिया के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे घर में हिंसा, पारिवारिक तनाव, माता-पिता का पूरा ध्यान न मिलना, या स्कूल में धमकियां और चिढ़ाना। कभी-कभी, यह विकार पढ़ाई में कठिनाई, जैसे डिस्लेक्सिया या डिस्कैलकुलिया, के कारण भी उत्पन्न हो सकता है।
1. मनोचिकित्सक की सलाह: बच्चे को एक मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए जो उसकी स्थिति का मूल्यांकन कर सके और उचित इलाज सुझा सके।
2. माता-पिता की भूमिका: माता-पिता को बच्चे के डर को समझने और उसे सुलझाने के लिए काम करना चाहिए। सकारात्मक प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
3. स्कूल में सहयोग: स्कूल के टीचर्स को भी बच्चे की समस्याओं को समझकर उसकी मदद करनी चाहिए। एक सहयोगात्मक वातावरण बच्चे के लिए सहायक हो सकता है।
4. इलाज और थेरेपी: गंभीर लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर दवाइयां, थेरेपी या अन्य उपचार प्रदान कर सकते हैं।
5. आदतों में बदलाव: बच्चे की दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव लाना और उसे मानसिक रूप से मजबूत बनाना फोबिया को दूर करने में मददगार हो सकता है।
स्कोलियोनोफोबिया का समय पर निदान और उचित इलाज बच्चे की समग्र भलाई और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।