Inkhabar Haryana, CM Saini News: महर्षि वाल्मीकि जयंती के मौके पर जींद के एकलव्य स्टेडियम में हुए समारोह ने हरियाणा की राजनीति में एक नया इतिहास रच दिया। डीएससी समाज की विशाल उपस्थिति और सीएम नायब सिंह सैनी की घोषणाओं ने भाजपा की सियासी ताकत को मजबूत किया। लोगों ने भाजपा पर विश्वास जताते हुए “आरक्षण में वर्गीकरण” के फैसले को लागू करने के लिए सीएम सैनी को शेर की संज्ञा दी। यह समारोह भाजपा और डीएससी समाज के बीच बढ़ती नजदीकी और राजनीतिक प्रभाव का प्रतीक बन गया।
समारोह में उमड़ी भारी भीड़ ने भाजपा की नीतियों और मुख्यमंत्री सैनी के प्रति अपना समर्थन स्पष्ट रूप से जताया। स्टेडियम में कुर्सियों पर बैठे लोगों के अलावा बाहर खड़ी भीड़ भी भाजपा के “जयकारे” लगा रही थी। सीएम ने समाज को कई सौगातें दी, जिनमें सरकारी सेवाओं में 20 % आरक्षित कोटे में से 10 % को वंचित समाज के लिए आरक्षित करने की घोषणा शामिल थी। इसके अलावा, सफाई मित्रों के समूहों को 50% सफाई ठेके देने, सफाई कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि और सरकारी कॉलेजों में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को पूरी छात्रवृत्ति प्रदान करने की घोषणा की गई।
सीएम ने यह भी कहा कि सफाई कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए हरियाणा राज्य सफाई कर्मचारी आयोग का गठन किया गया है और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीवरेज कार्य के दौरान मृत्यु पर 10 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा। इन घोषणाओं ने डीएससी समाज को भाजपा के प्रति और भी अधिक निष्ठावान बना दिया, क्योंकि समाज ने महसूस किया कि उनकी वर्षों से उपेक्षित आवाज अब सुनी जा रही है।
इस समारोह ने यह साफ कर दिया कि डीएससी समाज की ताकत अब हरियाणा की राजनीति में अहम हो गई है। समाज के प्रबुद्ध नेताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री नायब सैनी ने आरक्षण में वर्गीकरण को लागू कर हरियाणा को देश का पहला राज्य बनाया। इसके साथ ही, सीएम ने डीएससी समाज के सम्मान में कहा कि समाज ने जो पगड़ी मेरे सिर पर रखी है, उसे वह मंदिर में रखकर पूजा करेंगे।
यह बदलाव सिर्फ भाजपा के लिए फायदेमंद नहीं है, बल्कि डीएससी समाज की अनदेखी करने वाले कांग्रेस और इनेलो जैसे दलों के लिए खतरे की घंटी भी साबित हुआ है। कांग्रेस जहां अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रही है, वहीं भाजपा के नेता कृष्ण बेदी ने इस दौरान मजाकिया अंदाज में कहा कि डीएससी समाज ने “हैक” कर दिया था, यानी समाज ने हुड्डा को अपना नेता नहीं माना और भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया।
इस समारोह में सिर्फ घोषणाओं और सौगातों से ज्यादा, डीएससी समाज की राजनीतिक भूमिका को सशक्त किया है। दशकों से अपनी आवाज उठाते आए डीएससी समाज को अब अपनी ताकत और प्रभाव का एहसास हो चुका है। पहले कांग्रेस और इनेलो ने इस समाज को हलके में लिया, लेकिन अब भाजपा ने न केवल उनके हक सुनिश्चित किए, बल्कि उनके विकास के लिए भी कदम उठाए। ऐसे में डीएससी समाज के वोट बैंक के रूप में भाजपा को एक मजबूत और स्थिर समर्थन मिल चुका है, जो आने वाले चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है।