Inkhabar Haryana, Trollers troll Himanshi Narwal: एक तरफ जहां देश शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की वीरता को नमन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल अपने अपार दुख को सीने में दबाकर समाज में सौहार्द और शांति की अपील कर रही हैं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जब लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हुए, तब उनकी शादी को केवल छह दिन ही हुए थे। 16 अप्रैल को शादी के बाद 19 अप्रैल को दोनों हंसी-खुशी कश्मीर रवाना हुए थे, लेकिन 22 अप्रैल की उस काली सुबह ने हिमांशी की दुनिया उजाड़ दी।
सोशल मीडिया पर हुई ट्रोल
23 अप्रैल को जब शहीद विनय नरवाल का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया, तो उनकी पत्नी हिमांशी ने अपने आंसुओं को साहस में बदलकर “जय हिंद” के नारे लगाए। यह दृश्य हर देशवासी की आंखों को नम कर गया। एक नवविवाहित पत्नी का ऐसा साहस, ऐसी देशभक्ति और ऐसा आत्मबल विरले ही देखने को मिलता है।
लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ ट्रोलर्स ने उस महिला की देशभक्ति को भी निशाना बना लिया, जिसने अपनी पूरी दुनिया खो दी। हिमांशी नरवाल ने साफ शब्दों में कहा कि हमें मुस्लिमों या कश्मीरियों से नहीं, आतंकवाद से लड़ना है। हम नफरत नहीं, न्याय और शांति चाहते हैं। जिन्होंने गलत किया है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन किसी भी समुदाय को दोष देना सही नहीं।
ब्लड डोनेशन कैंप में दिखी समाजसेवा की भावना
शहीद विनय नरवाल के परिवार ने विनय के जन्मदिन पर ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित कर समाजसेवा की भावना को भी आगे बढ़ाया। उनका यह कदम बताता है कि एक सच्चा देशभक्त वही है जो खुद टूटकर भी समाज की भलाई के बारे में सोचता है। हिमांशी नरवाल पर सोशल मीडिया पर जिस तरह से कुछ तथा कथित “देशभक्तों” ने हमला किया, वह समाज के लिए एक चिंताजनक संकेत है। किसी भी शहीद के परिवार को जाति, धर्म, या राजनीतिक सोच के तराजू पर तौलना, देशभक्ति का अपमान है।
देश को आज आतंकवाद से ही नहीं, ऐसे ट्रोलर्स से भी खतरा है जो देशभक्ति के नाम पर अपनी नफरत का एजेंडा चलाते हैं। लेकिन हिमांशी नरवाल जैसी महिलाओं की उपस्थिति यह दिखाती है कि भारत में आज भी उम्मीद जिंदा है, और देश को जोड़ने वाली ताकतें नफरत को हर बार शिकस्त देंगी। सलाम है हिमांशी नरवाल को, जो एक शहीद की पत्नी होकर भी नफरत के विरुद्ध खड़ी हैं, और देश में शांति और सौहार्द की एक नई मिसाल पेश कर रही हैं।