Inkhabar Haryana, Ajay Chautala on Bhakra Dam Water Conflict: जननायक जनता पार्टी (JJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला ने आज सिरसा में प्रेस को संबोधित करते हुए भाखड़ा जल विवाद, एसवाईएल (SYL) नहर, आतंकवाद और जातिगत जनगणना जैसे अहम मुद्दों पर प्रदेश और केंद्र सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने केंद्र की निष्क्रियता, पंजाब सरकार की मनमानी और देश में संवैधानिक ढांचे के संकट को लेकर तीखे सवाल उठाए।
भाखड़ा जल विवाद पर सरकारों को घेरा
अजय चौटाला ने सबसे पहले पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे भाखड़ा जल विवाद को लेकर बयान देते हुए कहा कि इस मामले में प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को मिलकर ठोस निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “BBMB के हाईकोर्ट जाने का फैसला सिर्फ एक दिखावा है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहले ही सैकड़ों मामले लंबित हैं, उनमें से कितनों का समाधान हुआ?”
SYL पर केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल
चौटाला ने एसवाईएल मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर पहले ही निर्णय दे चुका है, लेकिन क्या केंद्र सरकार ने हरियाणा को उसका हक दिलाने के लिए कोई ठोस कदम उठाया? उन्होंने इसे “आईवॉश” करार देते हुए कहा कि SYL का पानी हरियाणा के किसानों और आम लोगों का अधिकार है, लेकिन सरकारें केवल बयानबाजी तक सीमित हैं। उन्होंने पंजाब सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वहां की विधानसभा में लगातार “बेतुके” कानून पारित हो रहे हैं। “जब ऐसा हो रहा है तो फिर केंद्र सरकार का संवैधानिक औचित्य क्या रह जाता है?”
पहलगाम हमले पर केंद्र सरकार की कार्यशैली पर निशाना
अजय चौटाला ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “सर्वदलीय बैठक में सभी नेताओं ने केंद्र को पूरा अधिकार दिया, लेकिन करना तो केंद्र को था। सिर्फ अखबारों में बयान देने से कुछ नहीं होता, करने वाले तो इजराइल जैसे होते हैं।”
बीजेपी पर तीखा हमला
बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए चौटाला ने कहा कि इनको सिर्फ सभी प्रदेशों में अपनी सरकार चाहिए, चाहे वो कैसे भी बने। जनता भाड़ में जाए, इनको कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि देश में संवैधानिक संकट हो या जातीय उन्माद फैले, बीजेपी सरकारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में चौटाला ने कहा कि यह फैसला केवल बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर फैसला लिया गया है, तो उसकी समय सीमा क्यों नहीं तय की गई?