Inkhabar Haryana, Bhupendra Singh Hooda: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकूला स्थित PMLA विशेष अदालत द्वारा सुनवाई पर रोक लगाए जाने के लगभग 6 महीने बाद ED ने इस आदेश को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति महाबीर सिंह सिंधु ने मामले की सुनवाई के दौरान ED की याचिका पर नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई की तारीख 9 दिसंबर निर्धारित की।
हुड्डा ने आधिकारिक स्थिति का किया दुरुपयोग
ED का आरोप है कि हुड्डा, जो उस समय हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे, उन्होनें औद्योगिक प्लॉटों के आवंटन के लिए मानदंडों को अंतिम रूप देने में काफी देरी की। आरोप है कि हुड्डा ने जानबूझकर अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग किया और 6 जनवरी 2016 के आवेदन की अंतिम तिथि के बाद 24 जनवरी 2016 को मानदंडों में बदलाव किया। इसके बाद, निर्धारित मानदंडों के विपरीत अवैध आवेदकों को औद्योगिक प्लॉट आवंटित कर दिए गए।
आखिर में CBI को मामला सौप दिया
ED ने अपनी याचिका में कहा कि PMLA के तहत गहन जांच के बाद फरवरी 2021 में पंचकूला की विशेष अदालत में अभियोजन पक्ष की शिकायत दर्ज की गई थी। अदालत ने फरवरी 2021 में शिकायत का संज्ञान लिया, लेकिन बाद में 15 मई को एक आदेश पारित करते हुए PMLA मुकदमे की कार्यवाही को CBI द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने तक रोक दिया।
मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध को किया नजरअंदाज
ED ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि विशेष न्यायाधीश ने मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध को स्वतंत्र और अलग मानते हुए यह गलत तरीके से नजरअंदाज किया कि PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग और अनुसूचित अपराधों से संबंधित कार्यवाही स्वतंत्र रूप से चलनी चाहिए। उन्होनें अपनी याचिका में यह भी कहा कि PMLA के तहत मुकदमा अनुसूचित अपराध के संबंध में पारित किसी अन्य आदेश पर निर्भर नहीं होगा और इसे अलग से चलाया जाएगा।
ED ने अपने आवेदन में यह भी कहा कि यदि अनुसूचित अपराध में अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने तक PMLA मुकदमे को रोका जाता है तो इससे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की प्रारंभिक जांच में ही विफलता हो सकती है, जो निदेशालय के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
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