विनोद लांबा, दिल्ली
Inkhabar Haryana, Bhupinder Singh Hooda: हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा सरकार की शिक्षा नीति पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा का मकसद दलितों, पिछड़ों, गरीबों और किसानों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना है।उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार न केवल सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी की जिम्मेदार है, बल्कि सरकारी स्कूलों को जानबूझकर निजी हाथों में सौंपने की साजिश भी कर रही है। सरकार ने न तो नए स्कूलों का निर्माण किया है और न ही मौजूदा स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाए हैं।
शिक्षा तंत्र की खस्ता हालत
बता दें कि, हुड्डा ने आगे कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बिजली, पानी, टॉयलेट और बैठने के लिए बैंच जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि बीजेपी सरकार ने 10 सालों में सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए क्या कदम उठाए? आज स्कूलों में 50,000 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और जो शिक्षक कार्यरत हैं, उन्हें पढ़ाई के बजाय अन्य प्रशासनिक कार्यों में लगा दिया गया है।पूर्व सीएम ने यह भी बताया कि सरकार ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए एक नीति बनाई है, जिसके तहत जो बच्चे सरकारी स्कूल छोड़कर प्राइवेट स्कूलों में जाएंगे, उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा, सरकार ने करीब 5000 स्कूलों को मर्ज करने का आदेश जारी किया है, जिससे हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।
सुविधाओं का घोर अभाव
हुड्डा ने बीजेपी सरकार की नाकामी को उजागर करते हुए कहा कि हाल ही में उच्च न्यायालय ने सरकार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, क्योंकि राज्य के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार ने कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने का पानी नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है, और 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय तक नहीं हैं। इसके अलावा, 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए भी शौचालय नहीं हैं। सरकार द्वारा दी गई जानकारी से यह भी सामने आया है कि 8240 और क्लासरूम की आवश्यकता है।
ड्रॉप-आउट रेट में वृद्धि
हुड्डा ने कहा कि इन सुविधाओं की कमी के कारण सरकारी स्कूलों में ड्रॉप-आउट रेट लगातार बढ़ रहा है। केवल एक साल में 4,64,000 छात्र सरकारी स्कूलों को छोड़ चुके हैं। इसके अलावा, सरकार द्वारा खरीदे गए टैबलेट भी पूरी तरह से निष्क्रिय साबित हुए हैं। टैबलेट अपडेट नहीं किए गए, और छात्र उन्हें इस्तेमाल करने में असमर्थ रहे। हुड्डा ने सवाल उठाया कि अगर ये टैबलेट उपयोगी नहीं थे, तो 612 करोड़ रुपये क्यों खर्च किए गए थे?
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्थिति भी चिंताजनक
हुड्डा ने प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि हरियाणा के कॉलेजों में 4738 सहायक प्रोफेसर के पद खाली हैं, जबकि प्रदेश के 26000 से अधिक स्कूलों में टीचर्स की कमी है। प्रदेश में यूजी और पीजी की सीटें भी खाली पड़ी हैं, लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
कांग्रेस सरकार के दौरान शिक्षा का समग्र विकास
बता दें कि, हुड्डा ने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के दौरान शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ था। कांग्रेस सरकार ने महेन्द्रगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय, 12 नए सरकारी विश्वविद्यालय, 154 नए पॉलिटेक्निक कॉलेज, 56 आईटीआई और 4 इंजीनियरिंग कॉलेज खोले थे। साथ ही, बाबा साहेब अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। इसके अलावा, हर जिले में DIET खोले गए और 2623 नए स्कूल बनाए गए। बीजेपी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कोई खास कार्य नहीं किया और ना ही एक भी बड़ा शिक्षण संस्थान स्थापित किया।