Inkhabar Haryana, Deepender Hooda on Ceasefire: देश की सुरक्षा और संप्रभुता के सवाल पर राजनीति एकजुट हो रही है। ऑपरेशन सिंदूर के सफल समापन के बाद कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज प्रेस को संबोधित करते हुए सशस्त्र बलों की सराहना की और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी। उनका कहना था कि देश के सामने कई ऐसे सवाल खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब अब लोकतांत्रिक मंच से मिलना चाहिए।
ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व
हुड्डा ने अपने बयान की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को सलाम करते हुए की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारे जवानों की भूमिका पर पूरे देश को गर्व है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति और संप्रभुता की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे मतभेद भुलाकर इस समय एकजुटता दिखाएं। हुड्डा ने कहा कि यह समय राजनीतिक बहस का नहीं, एकता का है। जब देश के सम्मान की बात होती है, तब भारत एक साथ खड़ा होता है। हमें वैश्विक मंच पर भी यह संदेश देना होगा।
विशेष सत्र की मांग
कांग्रेस नेता ने सरकार से संसद का विशेष सत्र जल्द से जल्द बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस सत्र में सरकार को पूरे घटनाक्रम पहलगाम में हुई घटनाओं से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिका द्वारा घोषित सीजफायर तक की विस्तृत जानकारी देनी चाहिए। हुड्डा ने अमेरिका की भूमिका पर गहरा संदेह जताया। उन्होंने पूछा कि अमेरिका ने बीच में आकर सीजफायर की घोषणा क्यों की? क्या यह भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप नहीं है? साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका पाकिस्तान और भारत को एक ही तराजू में तौल रहा है, जो अस्वीकार्य है।
पाकिस्तान को इनाम क्यों?
हुड्डा ने यह भी सवाल उठाया कि अमेरिका ने IMF के माध्यम से पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का लोन दिलवाया। उन्होंने पूछा कि क्या आतंकवाद को संरक्षण देने वाले देश को यह इनाम दिया जा रहा है? आतंकवाद से लड़ने वाला भारत और आतंकवाद को पालने वाला पाकिस्तान एक कैसे हो सकते हैं? उन्होंने अमेरिका के नेतृत्व द्वारा दिए गए बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि जब मुद्दा आतंकवाद पर कार्रवाई का है, तब अमेरिका व्यापार की बात कर रहा है। ट्रंप कह रहे हैं दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाएंगे। सवाल यह है कि आतंकवाद के बीच व्यापार कहां से आ गया?
तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं
हुड्डा ने स्पष्ट किया कि कश्मीर या भारत की सुरक्षा नीति पर किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। उन्होंने ट्रंप द्वारा दोनों देशों के नेतृत्व की प्रशंसा पर भी आपत्ति जताई और कहा कि इस बयान का समर्थन नहीं किया जा सकता।