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Deepender Hooda: “PM फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना साबित हो रही” – दीपेंद्र हुड्डा

BY: • LAST UPDATED : February 13, 2025
Inkhabar Haryana, Deepender Hooda: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत हरियाणा के किसानों के लिए कृषि बीमा दावों के भुगतान में आई 90% की भारी गिरावट को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बीमा दावों के निपटान में भारी गिरावट किसानों के लिए गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर सकती है और योजना के प्रति उनके भरोसे को भी कमजोर करती है।

किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटी जा रही- दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि PM फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना बन गई है। सांसद दीपेंद्र हुड्डा द्वारा 4 फरवरी 2025 को लोकसभा में पूछे गए प्रश्न संख्या 431 के उत्तर में सरकार के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में जहां 2,496.89 करोड़ का भुगतान हुआ, वहीं 2023-24 में यह गिरकर सिर्फ ₹224.43 करोड़ रह गया जो 90% से अधिक की बड़ी गिरावट है।

संसद में सरकार की तरफ से कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार देशभर में किसानों को किए गए दावों के भुगतान में 2022-23 के 18,211.73 करोड़ से घटकर 2023-24 में 15,504.87 करोड़ तक की गिरावट आई है। कई राज्यों में यह गिरावट बेहद चिंताजनक है। हरियाणा के अलावा, राजस्थान: 4,141.98 करोड़ (2022-23) से घटकर 2,066.02 करोड़ (2023-24); ओडिशा: 568.01 करोड़ (2022-23) से घटकर 209.03 करोड़ (2023-24); मध्य प्रदेश: 1,027.48 करोड़ (2022-23) से घटकर 565.28 करोड़ (2023-24) रह गया है।

मुआवजे की मांग पर किसान ठोकर खा रहे- दीपेंद्र हुड्डा

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि फसल नुकसान की गणना करने वाली समिति में किसानों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर क्लेम निपटारे में मनमानी कर रही हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के किसानों से बीमा कंपनियां प्रिमियम तो काट लेती हैं लेकिन जब मुआवजा देने की बारी आती है तो किसानों को दर- दर की ठोकर खानी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का भरोसा उठता जा रहा है। बीमा दावों के लंबित रहने के कारणों के रूप में राज्य सरकारों की अनुदान राशि में देरी, फसल उत्पादन के आंकड़ों में विसंगतियां और अन्य प्रक्रियात्मक बाधाएं बताई गई हैं, जिन्हें तत्काल सुलझाने की आवश्यकता है ताकि प्रभावित किसानों को उनका हक समय पर मिल सके।

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