Haryana Election: अपने परिवार की सत्ता में सुनील सांगवान ने 15 साल बाद वापसी करवाई और अपने पिता सतपाल सांगवान के तीन चुनावी हार के जख्मों पर मरहम लगाया। दादरी हलके से भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज कर, सुनील सांगवान पहले ऐसे उम्मीदवार बने जिन्होंने इस सीट पर पार्टी की पहली जीत दिलाई।सुनील सांगवान का राजनीतिक सफर अनोखा है। उन्होंने जेल अधीक्षक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेकर पहली बार चुनाव लड़ा और सफलता पाई।
उनके पिता, सतपाल सांगवान, जो पहले दूरसंचार विभाग में एसडीओ थे, ने भी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था। सतपाल सांगवान को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की प्रेरणा से राजनीति में आने का मौका मिला। उन्होंने 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अपने करियर में सतपाल ने कुल 6 चुनाव लड़े, जिनमें से 2 में उन्होंने जीत दर्ज की जबकि 4 बार हार का सामना करना पड़ा।
उनके पिता ने अपने चुनावी जीवन में 2005 और 2019 में उपविजेता का स्थान हासिल किया, लेकिन 2014 के चुनाव में वे चौथे स्थान पर रहे। सतपाल सांगवान की हार ने परिवार को चुनावी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन अब उनके बेटे ने पहली बार चुनाव जीतकर परिवार की राजनीतिक पहचान फिर से कायम कर दी है।
सुनील सांगवान की जीत दादरी हलके में ऐतिहासिक रही, क्योंकि इससे पहले भाजपा कभी इस सीट पर जीत नहीं पाई थी। पिता और बेटे दोनों का विधायक बनना इस परिवार के लिए गर्व की बात है। अब सुनील सांगवान अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करते हुए क्षेत्र की जनता के विकास के लिए काम करेंगे।