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Haryana Municipal Election 2025: हरियाणा नगर निगम चुनाव में जनता ने दिखाया ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ पर भरोसा, कांग्रेस का सूपड़ा साफ

BY: • LAST UPDATED : March 12, 2025

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Inkhabar Haryana, Haryana Municipal Election 2025: हरियाणा नगर निगम चुनाव और उपचुनाव के नतीजे आज आ चुके है। जिसमें 8 नगर निगम चुनाव में से 7 नगर निगम में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस पार्टी का नगर निगम चुनाव में खाता भी नहीं खुल पाया। मानेसर नगर निगम चुनाव से निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई। इस बार भाजपा ने सोनीपत और अंबाला में भी मेयर की सीट अपने नाम कर ली, जहां पिछली बार कांग्रेस और हरियाणा जनचेतना पार्टी का कब्जा था।

नगर निगम चुनाव में दिखा भाजपा का दबदबा

हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए 8 नगर निगमों और 2 नगर निगमों के उपचुनाव के नतीजों में भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज की। अंबाला, करनाल, फरीदाबाद, गुरुग्राम, रोहतक, हिसार और सोनीपत में भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, जबकि पानीपत और यमुनानगर में भी पार्टी उम्मीदवार आगे चल रहे थे। यह चुनाव न केवल नगर निगमों में भाजपा की पकड़ मजबूत करने का संकेत देते हैं, बल्कि राज्य और केंद्र में पार्टी की सत्ता के समन्वय को भी दर्शाते हैं।

इस बार भाजपा ने सोनीपत और अंबाला में भी मेयर की सीट अपने नाम कर ली, जहां पिछली बार क्रमशः कांग्रेस और हरियाणा जनचेतना पार्टी का कब्जा था। वहीं, मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव ने जीत दर्ज की। दूसरी ओर, कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा, क्योंकि पार्टी न केवल किसी भी नगर निगम में जीत दर्ज करने में असफल रही, बल्कि अपनी पुरानी सीट सोनीपत भी गंवा बैठी।

भाजपा की जीत के प्रमुख कारण

भाजपा की इस बड़ी जीत के पीछे चार प्रमुख कारण रहे, जिन्होंने पार्टी को बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

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1. ट्रिपल इंजन सरकार का प्रभाव- भाजपा ने इस चुनाव में “ट्रिपल इंजन सरकार” का नारा दिया, जिसमें केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों में पार्टी की सरकार होने को विकास के लिए जरूरी बताया गया। प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं ने जनता को समझाने की कोशिश की कि यदि शहरों में भी भाजपा की सरकार बनती है, तो विकास कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी और सभी योजनाएं तेजी से लागू होंगी। मतदाताओं ने भी इसे समझा और भाजपा को समर्थन दिया।

2. सशक्त चुनावी प्रबंधन- भाजपा ने नगर निगम चुनाव को हल्के में नहीं लिया और इसे लोकसभा व विधानसभा चुनावों की तरह ही लड़ा। पार्टी ने बूथ स्तर पर पांच स्तर का संगठनात्मक मैनेजमेंट तैयार किया। इसके तहत हर घर तक पार्टी का संदेश कम से कम चार बार पहुंचाया गया। वार्ड स्तर पर विशेष टीमें बनाई गईं, जो मतदाताओं से सीधा संवाद कर भाजपा की नीतियों को समझाने का काम करती रहीं। इस सशक्त प्रबंधन ने भाजपा को बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

3. बड़े नेताओं की सक्रिय भागीदारी- भाजपा ने इस चुनाव को गंभीरता से लिया और प्रचार अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री नायब सैनी सहित तमाम वरिष्ठ नेताओं को प्रचार में उतारा गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन बड़ौली, मंत्रियों और विधायकों ने भी सक्रिय रूप से चुनाव प्रचार किया। जहां स्थानीय नेताओं ने संगठन से किसी विशेष नेता को बुलाने की मांग की, वहां पार्टी ने तुरंत व्यवस्था की। इससे जनता में यह संदेश गया कि भाजपा शहरों के विकास को लेकर गंभीर है और सरकार के उच्च स्तर पर भी इसे प्राथमिकता दी जा रही है।

4. बागियों से दूरी बनाए रखना- भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव में बगावत करने वालों को पार्टी में दोबारा शामिल नहीं किया। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया था कि अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिसार में भाजपा ने पूर्व मेयर गौतम सरदाना और वरिष्ठ नेता तरुण जैन को पार्टी में शामिल नहीं किया, भले ही चुनाव जीतने के लिए उनकी वापसी मददगार हो सकती थी। इस सख्त रवैये का असर यह हुआ कि पार्टी के भीतर किसी ने बगावत करने की हिम्मत नहीं की, जिससे एकजुटता बनी रही और कोई आंतरिक कलह नहीं हुआ।

कांग्रेस के लिए झटका

इन चुनावों में कांग्रेस पूरी तरह से हाशिए पर रही। पार्टी न केवल नए नगर निगमों में हार गई, बल्कि पिछली बार जीती हुई सोनीपत की मेयर सीट भी भाजपा के हाथों गंवा बैठी। इससे साफ है कि कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा कमजोर पड़ चुका है और पार्टी को जमीनी स्तर पर दोबारा मजबूती लाने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।