Haryana Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विधायक दल के नेता (सीएलपी) के चयन को लेकर शुक्रवार को हुई बैठक में कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका। इस बैठक में चार केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सभी 37 विधायकों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर उनकी राय जानी। बैठक के बाद एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसके तहत सीएलपी नेता चुनने का फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ दिया गया। यह प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रखा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने इसका समर्थन किया।
अब केंद्रीय पर्यवेक्षक इस बैठक और विधायकों की राय से संबंधित रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपेंगे। इसके बाद, पार्टी नेतृत्व द्वारा ही सीएलपी नेता का फैसला किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, विधायकों से सीएलपी के लिए तीन-तीन नाम पूछे गए थे। बताया जा रहा है कि 30 से अधिक विधायकों ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दोबारा सीएलपी नेता बनाने की मांग की है। वहीं, कुमारी सैलजा के समर्थक विधायकों ने पंचकूला के विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे बढ़ाया है।
बैठक से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने सरकारी आवास पर विधायकों के साथ लंच का आयोजन किया, जिसमें 32 विधायक शामिल हुए। खास बात यह रही कि दिल्ली बैठक में 31 विधायक थे, जबकि चंडीगढ़ में 32 विधायक उपस्थित हुए। सभी एससी सीटों पर जीतने वाले विधायक भी इस लंच में शामिल हुए, लेकिन कुमारी सैलजा के समर्थक चार विधायकों ने दूरी बनाए रखी।
सूत्रों का मानना है कि अगर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएलपी नेता नहीं बनाया गया, तो उनका खेमा गीता भुक्कल का नाम आगे कर सकता है। वहीं, कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें भी चल रही हैं, लेकिन दोनों पदों पर दलित नेता नहीं होंगे। इसलिए भुक्कल के सीएलपी बनने पर सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनने में दिक्कत हो सकती है।
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