मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन को एक योजना लांच की थी। जिसके शुरूआत देश के 110 शहरों का चयन किया गया। हरियाणा में दो शहरों फरीदाबाद का 21 मई 2016 को तो करनाल का 28 जून 2018 को चयन किया गया। फरीदाबाद स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत कुल 45 परियोजनाएं है जिनकी कुल लागत 930 करोड और करनाल स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत कुल 121 परियोजनाए जिनकी कुल लागत 929.77 करोड़ रुपये है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच 50:50 धन का प्रावधान किया गया। करनाल स्मार्ट सिटी लि. को 10 फरवरी 2025 तक परियोजना फंड और ए एंड ओई फंड के तहत कुल 980 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई जिसमें से 872. 50 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च की गई और अभी 107. 50 करोड की राशि शेष बची है।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि जितनी धनराशि करनाल और फरीदाबाद में विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च दिखाई गई है उसको देखते हुए धरातल पर कोई काम दिखाई नहीं दे रहर है, ऐसी ही स्थिति उन शहरों की थी है जिनका स्मार्ट सिटी के लिए चयन किया गया। 2041 तक गुड़गांव की आबादी 40 लाख तो फरीदाबाद की आबादी 30 लाख हो जाएगी। ऐसे में छोटे व मध्यम शहरों में विकास की जरूरत है क्योंकि वहां अभी ज्यादातर कॉलोनियां प्राइवेट लोगों द्वारा ही बसाई जा रही है। सरकार क्या कर रही है यही बात जनता जानना चाहती है। ऐसे में सरकार की चाहिए कि वह स्मार्ट सिटी को लेकर श्वेत पत्र जारी करे। कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि बार बार झूट बोलकर जनता को गुमराह करती आई है और अब तक जनता भी जान चुकी है कि भाजपा सरकार जुमलेबाज है। वह जो कहती है वह करती नहीं है।
कुमारी सैलजा ने स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर जमकर घोटाले का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये पानी में बहाकर भी लोगों को गंदगी के ढेर मिल रहे हैं। टूटी-फूटी सड़को पर हिचकौले खाने को मिल रहे हैं। आज फरीदाबाद के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। जगह-जगह पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, पर कचरा प्रबंधन दिखाई नहीं देता। हालात ये हैं कि लोग फरीदाबाद को स्लम बस्ती के नाम से जानते हैं। बरसात में साइबर सिटी गुरुग्राम में होने वाली दुर्गति सभी ने देखी है। करनाल में अवैध कॉलोनियां पनप रही हैं। कॉलोनियां में मूलभूत सुविधाएं तो दूर, बल्कि गंदगी और जलभराव की समस्या का समाधान तक नहीं हो पाता। स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए। हरियाणा में अनेक शहर ऐसे है जहां पर लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर है।