Inkhabar Haryana, Ambala News: हरियाणा के अंबाला ज़िले में मारकंडा नदी के किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों का गुस्सा एक बार फिर उबाल पर है। हर वर्ष बारिश के मौसम में मारकंडा नदी का पानी तटवर्ती गांवों में घुसकर फसलों और घरों को भारी नुकसान पहुंचाता है। इस बार भी समस्या के समाधान की मांग को लेकर हेमामाजरा, तंदवाल, घेलड़ी, सोहाना सहित आसपास के गांवों के किसान ‘मारकंडा पटरी संघर्ष समिति’ के बैनर तले अम्बाला-यमुनानगर हाईवे पर हेमामाजरा मोड़ के पास सांकेतिक धरने पर बैठ गए।
क्या हैं पूरा मामाल?
जानकारी के मुताबिक, मारकंडेय नदी के किनारे बसे गांव हेमाजरा, तंदवाल, घेलड़ी में हर वर्ष बारिश में पानी आ जाता है। दरअसल यहां मारकंडेय नदी का बांध कच्चा है जो हर बार पानी के तेज बहाव के कारण टूट जाता है । इससे इन गांवों की फसलें खराब हो जाती हैं और कई बार घरों में भी पानी घुस जाता है। जिसको लेकर रविवार को हेमामाजरा, तंदवाल, घेलड़ी, सोहाना सहित आसपास के गांवों के किसानों ने नेशनल हाईवे-344 किनारे हेमामाजरा गांव के मोड़ पर धरना दिया। शुरू हुए धरने की जब किसी प्रशासनिक अधिकारी ने सुध नहीं ली तो किसानों ने नेशनल हाइवे को जाम करने की चेतावनी दे दी ।
आश्वासन के बाद किया धरना बंद
बता दें कि, प्रशासन ने नायब तहसीलदार साहा हरि ओम को मौके पर भेजा गया। उन्होंने उच्च अधिकारियों और सिंचाई विभाग के SI से बात कर किसानों को आश्वस्त किया कि गांव में मारकंडा नदी के पानी को घुसने से रोकने के लिए अस्थायी प्रबंध का काम शुरु कर दिया जाएगा। साथ ही बराड़ा के SDM कार्यालय में अधिकारियों व किसानों की बैठक भी आयोजित की जाएगी। जिसके बाद DSP बराड़ा ने सिंचाई विभाग के SI से किसानों की स्पीकर पर बात करवाई। इस आश्वसन के बाद धरना समाप्त हो गया।