स्कूल प्रशासन के अनुसार, 12वीं कक्षा की 609 छात्राओं से बोर्ड परीक्षा की फीस जमा करवाई गई थी, लेकिन वह राशि बोर्ड में जमा नहीं कराई गई। जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रिंसिपल छत्रपाल से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका फोन बंद मिला और पता चला कि वे बिना किसी सूचना के छुट्टी पर चले गए हैं।
इस जानकारी के सामने आने के बाद छात्राओं में भय का माहौल है कि कहीं वे बोर्ड परीक्षा से वंचित न रह जाएं। छात्राओं का कहना है कि यह उनकी मेहनत और भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
घटना के बाद स्कूल के अन्य अध्यापक मामले को संभालने और छात्राओं की फीस जमा करने की कोशिश कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी से बातचीत के बाद बोर्ड फीस को किसी अन्य फंड से भरने का प्रयास किया जा रहा है। लेट फीस का मुद्दा उठने पर अधिकारियों से उसे माफ कराने का भी अनुरोध किया गया है।
स्कूल प्रशासन का कहना है कि हर संभव कोशिश की जा रही है कि किसी भी छात्रा का भविष्य खराब न हो। अध्यापकों ने विश्वास जताया है कि बोर्ड फीस जमा कर छात्राओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दिला दी जाएगी।
इस घटना ने स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों को इस घटना की जानकारी दी है। प्रिंसिपल छत्रपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।