Inkhabar Haryana, Bird Conservation in Haryana: हरियाणा के बहादुरगढ़ तहसील स्थित परनाला गांव ने परिंदों के संरक्षण की दिशा में एक ऐसा प्रेरणादायक कदम उठाया है, जिसकी गूंज दूर-दराज़ तक सुनाई दे रही है। जहां एक ओर शहरीकरण और तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगलों ने परिंदों से उनका प्राकृतिक आवास छीन लिया है, वहीं परनाला गांव की पंचायत ने पक्षियों के लिए एक भव्य, सुंदर और सुरक्षित आशियाना तैयार कर मिसाल पेश की है।
कैसे की शुरुआत?
गांव के सरपंच प्रतिनिधि अशोक राठी के अनुसार, यह पहल एक इंटरनेट वीडियो से प्रेरित होकर शुरू हुई। उन्होंने एक दिन ऑनलाइन बर्ड टावर के बारे में जानकारी देखी और तय किया कि अपने गांव में भी ऐसा ही एक संरचना तैयार की जाएगी, ताकि घटती पक्षी आबादी को राहत मिल सके। विचार से क्रियान्वयन की इस यात्रा में ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने एकजुट होकर सहभागिता निभाई।
बनाया गया 50 फीट ऊंचा बर्ड टावर
परिंदों को नया घर देने के उद्देश्य से गांव के तालाब के समीप लगभग 50 फीट ऊंचा और साढ़े छह मंजिला बर्ड टावर बनाया गया है। इस टावर में 800 से अधिक छोटे-छोटे घोंसले बनाए गए हैं, जिनमें अनुमानित 2000 से अधिक पक्षी अपना घर बना सकेंगे। टावर का निर्माण गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा मात्र दो सप्ताह में किया गया। रंग-बिरंगे आकर्षक डिज़ाइन वाले इस टावर की बनावट न केवल पक्षियों को आकर्षित करती है, बल्कि गांव के सौंदर्य को भी बढ़ाती है।
पक्षियों के लिए दाने और पानी की व्यवस्था
सिर्फ टावर बनाना ही नहीं, पंचायत ने इन नन्हे परिंदों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए दाने-पानी की स्थायी व्यवस्था का भी निर्णय लिया है। इसके लिए आसपास के ग्रामीण और पंचायत मिलकर कार्य करेंगे। टावर के पास स्थित तालाब से पक्षियों को जल भी सुलभ रहेगा।
प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी कदम
अशोक राठी ने बताया कि आधुनिकता और तकनीक के इस युग में तेजी से हरियाली खत्म हो रही है, जिससे पक्षियों का जीवन संकट में है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम इंसान भी अपने पर्यावरण और उसमें रहने वाले जीवों के प्रति जिम्मेदारी निभाएं। उनके अनुसार कि पक्षियों की चहचहाहट किसी भी वातावरण में जीवन का संगीत भर देती है। अगर हम उनके लिए छोटी-छोटी सुविधाएं भी जुटा सकें, तो यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।