शिमला। हिमाचल प्रदेश में भवन निर्माण के नियम बदलने का रास्ता साफ हो गया है। विधानसभा ने मंगलवार को इस संबंध में हिमाचल प्रदेश नगर और ग्राम योजना संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। नगर और ग्राम योजना मंत्री राजेश धर्माणी ने इस संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देशों पर भवन निर्माण को विनियमित करने के लिए इस कानून में संशोधन किया है। गौरतलब है कि बीते साल और मौजूदा मानसून सीजन में प्राकृतिक आपदा से हो रहे जान माल को देखते हुए सरकार ने भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के साथ साथ नदी के तटों व अन्य इलाकों व विशेष क्षेत्रों में भवन निर्माण के मानकों को बदलने के लिए कानून में आवश्यक संशोधन किया है। यह संशोधन विधेयक नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने सोमवार को सदन में पेश किया था।
नियमों में हुए बदलाव
विधेयक में भूस्खलन और इमारतें ढहने की घटनाओं को रोकने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था और इमारत की मजबूत नींव के लिए मानक तय किए गए हैं। विधेयक में 1000 वर्ग मीटर से अधिक प्लाट क्षेत्र में बनने वाले सभी भवनों के लिए मानक तय किए गए हैं। निर्माण कार्य से पहले भूमि का स्ट्रेटा जानना अनिवार्य होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बहुमंजिला भवन बनाने के लिए नियम तय किए गए हैं ताकि आपदा के कारण भवनों के गिरने से जानमाल का नुकसान न हो।
नियमों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में अब सवा बीघा तक टीसीपी एक्ट लागू नहीं होगा। इससे पूर्व, विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर,रणधीर शर्मा, सुधीर शर्मा, विनोद सुल्तानपुरी, अनुराधा राणा, संजय रतन, केवल सिंह पठानिया, सुंदर सिंह ठाकुर और आशीष बुटेल ने इस संशोधन विधेयक के कारण लोगों को आने वाली दिक्कतों के मद्देनजर इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने और इस संशोधन को लेकर विधायकों तथा आम जनता से सुझाव लेने की बात कही।
चर्चा में 16 विधायकों ने लिया हिस्सा
अधिकांश सदस्यों का मत था कि ग्रामीण इलाकों में भी भवन निर्माण की निगरानी हो ताकि निर्माण की गुणवत्ता सुधरे और आपदा के समय कम नुकसान हो। सदस्यों का यह भी कहना था कि संशोधन विधेयक को लेकर सरकार की नीयत सही नहीं, लेकिन मापदंडों में स्पष्टता नहीं है। इस विधेयक पर हुई चर्चा में 16 विधायकों ने हिस्सा लिया। इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विधेयक में सिर्फ एक शब्द का संशोधन किया गया है और अन्य नियमों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसलिए इसे पारित कर लिया जाए।
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