राजस्व विभाग ने प्रदेश के कई जिलों के अधिकारियों को दलालों की गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। DRO स्तर के अधिकारी इस मामले में जांच कर सकते हैं। यह कदम तहसीलों में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
गुरुग्राम जिले की कादीपुर तहसील के साथ-साथ गुरुग्राम, बादशाहपुर, वजीराबाद, फर्रुखनगर, सोहना और पटौदी तहसीलों को मुख्य रूप से जांच के दायरे में रखा गया है। सरकार द्वारा भेजी गई सूची के आधार पर ब्रोकर और डॉक्यूमेंट राइटर्स की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
जांच के दौरान संदिग्ध दलालों से पूछताछ की जाएगी और उनके मोबाइल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) भी खंगाली जाएगी। इससे अवैध गतिविधियों और भ्रष्टाचार के गहराई तक जाने की कोशिश की जाएगी।
कादीपुर तहसील में भ्रष्टाचार के आरोप में नायब तहसीलदार अनिल यादव को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। वहीं, गुरुग्राम और वजीराबाद तहसीलों में 700 से अधिक फ्लैटों के गलत तरीके से हुए रजिस्ट्रेशन की जांच जारी है।
गुरुग्राम जिले में 300 से अधिक दलाल लंबे समय से तहसीलों में सक्रिय हैं। प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए दलालों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि बिना उनके काम करवाना काफी मुश्किल हो गया है।
इन सभी प्रक्रियाओं में दलाल अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की लंबी और जटिल प्रक्रिया के कारण आम नागरिकों के लिए काम करवाना मुश्किल हो जाता है। बिना दलालों की मदद के कागजात पूरे करने में कई दिन लग जाते हैं, जबकि दलाल सेवा शुल्क लेकर कुछ घंटों में काम निपटा देते हैं।
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