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Gurugram News: पटवारियों की लिस्ट लीक के बाद अब दलालों पर गिरेगी गाज, जानें पूरा मामला

BY: • LAST UPDATED : January 25, 2025
Inkhabar Haryana, Gurugram News: हरियाणा के गुरुग्राम जिले में तहसीलों के भीतर भ्रष्टाचार और दलालों की सक्रियता को लेकर प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। हाल ही में पटवारियों की सूची लीक होने के बाद अब दलालों की गतिविधियों पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने एक गुप्त रिपोर्ट तैयार की है, जिसके तहत तहसीलों में सक्रिय दलालों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश सरकार का सख्त कदम

राजस्व विभाग ने प्रदेश के कई जिलों के अधिकारियों को दलालों की गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। DRO स्तर के अधिकारी इस मामले में जांच कर सकते हैं। यह कदम तहसीलों में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

जांच का दायरा और मुख्य तहसीलें

गुरुग्राम जिले की कादीपुर तहसील के साथ-साथ गुरुग्राम, बादशाहपुर, वजीराबाद, फर्रुखनगर, सोहना और पटौदी तहसीलों को मुख्य रूप से जांच के दायरे में रखा गया है। सरकार द्वारा भेजी गई सूची के आधार पर ब्रोकर और डॉक्यूमेंट राइटर्स की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

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जांच के दौरान संदिग्ध दलालों से पूछताछ की जाएगी और उनके मोबाइल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) भी खंगाली जाएगी। इससे अवैध गतिविधियों और भ्रष्टाचार के गहराई तक जाने की कोशिश की जाएगी।

नायब तहसीलदार सस्पेंड

कादीपुर तहसील में भ्रष्टाचार के आरोप में नायब तहसीलदार अनिल यादव को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। वहीं, गुरुग्राम और वजीराबाद तहसीलों में 700 से अधिक फ्लैटों के गलत तरीके से हुए रजिस्ट्रेशन की जांच जारी है।

300 से अधिक दलाल सक्रिय

गुरुग्राम जिले में 300 से अधिक दलाल लंबे समय से तहसीलों में सक्रिय हैं। प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए दलालों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि बिना उनके काम करवाना काफी मुश्किल हो गया है।

  • ऑनलाइन टोकन लेना
  • पेपर चेक करवाना
  • पेपर फीड करवाना
  • वैलिड प्रॉपर्टी आईडी लेना
  • नगर निगम, एचएसवीपी और अन्य विभागों से एनओसी लेना
  • पूरी फाइल मार्क करवाना और गवाह लाना

इन सभी प्रक्रियाओं में दलाल अहम भूमिका निभाते हैं।

दलालों की मदद के बिना मुश्किल है काम

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की लंबी और जटिल प्रक्रिया के कारण आम नागरिकों के लिए काम करवाना मुश्किल हो जाता है। बिना दलालों की मदद के कागजात पूरे करने में कई दिन लग जाते हैं, जबकि दलाल सेवा शुल्क लेकर कुछ घंटों में काम निपटा देते हैं।

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