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HBSE Haryana Board 12th Result 2025 Topper: हरियाणा में फ्रूट की रेहड़ी लगाने वाले की बेटी ने रचा इतिहास, मेहनत से सरोज देवी ने प्रदेश में हासिल किया तीसरा स्थान

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Inkhabar Haryana, HBSE Haryana Board 12th Result 2025 Topper: सपनों को पंख तभी मिलते हैं जब हौसलों की उड़ान में मेहनत की ताकत हो। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है हरियाणा के जींद जिले की एक होनहार छात्रा सरोज देवी ने। विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए, सीमित संसाधनों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद सरोज ने हरियाणा बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में आर्ट्स संकाय में पूरे प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। सरोज ने कुल 500 में से 494 अंक हासिल कर न केवल अपने गांव नगूरां, बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है।

पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारी भी संभाली

सरोज का परिवार बेहद साधारण है। उनके पिता परमजीत जींद शहर में फलों की रेहड़ी लगाते हैं और बीते तीन वर्षों से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे हैं। मां सुदेश एक गृहणी हैं। सरोज चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और घर की ज़िम्मेदारियों का बोझ भी उनके कंधों पर है। ऐसे में सरोज के लिए पढ़ाई करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई डीएन मॉडल स्कूल, जींद से की। स्कूल से लौटने के बाद वह पहले दो घंटे पढ़ाई करतीं और फिर घर के कामों में मां का साथ देतीं। रात में 12 से 2 बजे तक वह फिर से किताबों में डूब जातीं। सरोज की यह दिनचर्या उनकी मेहनत की गवाही देती है। उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर केवल पढ़ाई पर फोकस किया। न कोचिंग, न ट्यूशन सिर्फ आत्मविश्वास और आत्म-अध्ययन के दम पर उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।

आर्ट्स में हासिल किए शानदार मार्कस

सरोज ने अंग्रेजी में 99, हिंदी में 96, भूगोल (ज्योग्राफी) में 100, राजनीति विज्ञान (पॉलिटिकल साइंस) में 99, अर्थशास्त्र (इकोनॉमिक्स) में 100 और गणित में 94 अंक हासिल किए हैं। इससे पहले भी उन्होंने दसवीं की परीक्षा में प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। उनका सपना है IAS अफसर बनने का। एक बार उन्होंने IAS अधिकारी दिव्या तंवर की वीडियो देखी थी, जिसने उन्हें प्रेरित किया और तभी से उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया।

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माता-पिता का नाम किया रोशन

सरोज के पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बने, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ने एमबीबीएस की राह मुश्किल कर दी। तीन साल पहले जब पिता को कैंसर का पता चला, तब से इलाज पर ध्यान देना पड़ा और बाकी सपने पीछे छूट गए। लेकिन सरोज ने यह दिखा दिया कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, अगर जज्बा हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। उनकी मां सुदेश कहती हैं कि मुझे हमेशा चिंता रहती थी कि कितने नंबर आएंगे। लेकिन आज बेटी ने जो कर दिखाया है, वो हर मां-बाप का सपना होता है।