Inkhabar Haryana, Highcourt on Punjab Haryana Water Dispute: उत्तर भारत की दो प्रमुख राज्यों हरियाणा और पंजाब के बीच वर्षों से चल रहा जल विवाद एक बार फिर उफान पर है। जल संसाधनों के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। एक ओर पंजाब सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पास कर पानी देने से इनकार किया है, वहीं हरियाणा सरकार इसे अपना संवैधानिक अधिकार बताते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर चुकी है।
हाईकोर्ट से मिली हरियाणा को राहत
इस जल विवाद पर हरियाणा सरकार को बड़ी राहत उस समय मिली जब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को भारत सरकार के गृह सचिव की अध्यक्षता में 2 मई 2025 को हुई बैठक के निर्णय को लागू करने का आदेश दिया। इस बैठक में हरियाणा के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का फैसला लिया गया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि भाखड़ा नंगल बांध और लोहंड कंट्रोल रूम के संचालन में किसी राज्य सरकार को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। ये केंद्र के अधीन संचालित संस्थाएं हैं, और इनकी कार्यप्रणाली में बाधा डालना न केवल अनुचित है बल्कि गैरकानूनी भी।
बीबीएमबी की तकनीकी समिति का फैसला और विरोध
इससे पहले 23 अप्रैल 2025 को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की तकनीकी समिति ने फैसला लिया था कि हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। इसमें राजस्थान और दिल्ली का हिस्सा भी शामिल था। 24 अप्रैल को BBMB ने इस निर्णय की पुष्टि भी कर दी, लेकिन पंजाब सरकार ने इस पर कड़ा विरोध जताया। पंजाब का कहना है कि हरियाणा और राजस्थान अपनी निर्धारित हिस्सेदारी से अधिक जल की मांग कर रहे हैं, जिससे राज्य के किसानों और जल स्रोतों पर दबाव बढ़ रहा है।
विधानसभा में पंजाब का विरोध प्रस्ताव
इस विवाद को और हवा तब मिली जब पंजाब सरकार ने इस मुद्दे पर विधानसभा में विरोध प्रस्ताव पारित कर दिया, जिसमें जल देने के फैसले को राज्यहित के विरुद्ध बताया गया। पंजाब के नेताओं का कहना है कि राज्य के जल संसाधन पहले से ही सीमित हैं और हरियाणा को अतिरिक्त जल देना व्यवहारिक नहीं है।