Inkhabar Haryana, Holi 2025: होली भारत के सबसे रंगीन और हर्षोल्लास से भरे त्योहारों में से एक है। यह पर्व देशभर में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। ब्रज में फूलों की होली, वाराणसी में भस्म होली, राजस्थान में लट्ठमार होली जैसी विशेष होलियों का आयोजन होता है। इसी कड़ी में हरियाणा की “कोरड़ा मार होली” एक अनूठी और रोचक परंपरा के रूप में प्रसिद्ध है। यह विशेष रूप से देवर-भाभी के रिश्ते की मस्ती, प्यार और सम्मान को दर्शाती है।
क्या है कोरड़ा मार होली?
कोरड़ा मार होली हरियाणा के कई जिलों में सालों से मनाई जा रही है। इसमें भाभी अपने देवर को कपड़े से बने मजबूत कोरड़े (चाबुक) से मारती है, जबकि देवर रंग और पानी से खुद को बचाने की कोशिश करता है। यह दृश्य देखने के लिए गांवों और कस्बों में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। यह होली हंसी-मजाक, स्नेह और मस्ती से भरा अनूठा आयोजन होता है, जहां परंपरा और रिश्तों की गहराई नजर आती है।
देवर-भाभी के रिश्ते का अनूठा रंग
कोरड़ा मार होली सदियों पुरानी पंरपरा हैं जो सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि देवर-भाभी के रिश्ते की मधुरता और सम्मान को दर्शाने वाली परंपरा है। जहां एक ओर देवर अपनी भाभी को रंग में सराबोर करने की कोशिश करता है, वहीं भाभी उसे कोरड़े से मारकर अपनी शरारती नाराजगी जाहिर करती है। इसे देवर के प्रति भाभी का दुलार और हल्की-फुल्की डांट का प्रतीक माना जाता है।
कैसे खेली जाती है यह अनोखी होली?
होलिका दहन के अगले दिन गांव के चौक या बड़े मैदान में इस होली का आयोजन किया जाता है। बड़े-बड़े कड़ाहों में रंग और पानी भरकर रख दिया जाता है। जिसके बाद देवर भाभी पर रंग डालते हैं और पानी फेंकते हैं। भाभियां कोरड़े लेकर देवरों को मारने का प्रयास करती हैं। इस पूरे खेल को देखने के लिए गांववाले बड़े चाव से इकट्ठा होते हैं और इस अनोखी परंपरा का आनंद लेते हैं।