मनदीप के पिता मंगत सिंह ने अपने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए एक किल्ला जमीन बेच दी और बाकी बची हुई जमीन को बैंक से गिरवी रखकर कर्ज लिया। इसके अलावा कुछ रकम रिश्तेदारों से उधार ली, जिससे कुल 44 लाख रुपए की राशि एजेंट को दी गई। एजेंट ने 40 दिनों में अमेरिका पहुंचाने का वादा किया था, लेकिन यह सफर पांच महीने लंबा हो गया। मनदीप ने बताया कि उसकी यात्रा 18 सितंबर को दिल्ली से मुंबई जाने से शुरू हुई। इसके बाद उसे मुंबई से गोहाना (दक्षिण अफ्रीका) भेजा गया। वहां से वह ब्राजील, मालवी, पेरू, कोलंबिया और पनामा के खतरनाक जंगलों से होकर गुजरा। अंततः 24 जनवरी को उसने मैक्सिको बॉर्डर पार किया, जहां अमेरिकी पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
मनदीप का कहना है कि अमेरिका में सरकार बदलने के बाद प्रवासियों पर कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई। इसी का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा और 13 फरवरी को उसे डिपोर्ट कर दिया गया। इस दौरान न सिर्फ उसकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई, बल्कि पासपोर्ट भी पांच साल के लिए खराब हो गया। मनदीप और अन्य डिपोर्ट हुए भारतीयों को हथकड़ियों में अमृतसर एयरपोर्ट लाया गया। वहां से अंबाला पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और फिर कैथल पुलिस को सौंप दिया। अंततः गुहला थाना पुलिस ने मनदीप को उसके परिजनों के हवाले कर दिया।
घर लौटने के बाद मनदीप और उसके परिवार का सपना पूरी तरह टूट चुका है। न सिर्फ पैसा डूब गया, बल्कि जमीन भी हाथ से निकल गई। अब परिवार चाहता है कि सरकार धोखेबाज एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह ठगी का शिकार न हो।