सैलजा ने बताया कि HKRN के तहत कार्यरत 28 प्रतिशत कर्मचारी अनुसूचित जाति और 32 प्रतिशत कर्मचारी पिछड़ा वर्ग से हैं। लेकिन, सरकार की वायदा खिलाफी के कारण इन वर्गों के युवाओं की नौकरियों पर संकट गहरा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना नोटिस के कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया, जिससे कई परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ गई है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि नरवाना, चरखी दादरी और रोहतक जैसे कई जिलों में कंप्यूटर ऑपरेटर, चौकीदार और अन्य पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया। ये कर्मचारी न्याय की उम्मीद में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही। यहां तक कि भाजपा के विधायक और मंत्री भी उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने में असफल हैं।
सैलजा ने बताया कि HKRN के तहत नौकरी पाने वाले कई कर्मचारियों के नाम BPL सूची से काट दिए गए थे। अब नौकरी खोने के बाद उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है। नई जगह नौकरी मांगने पर बीपीएल सूची से कटे नाम उनके लिए और मुश्किलें खड़ी करेंगे।
सैलजा ने भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार को अपने वादे पर कायम रहना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि रिक्त पदों पर नई भर्तियों को समायोजित किया जाए, लेकिन मौजूदा कर्मचारियों को नौकरी से न हटाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार की यह वायदा खिलाफी लाखों युवाओं को सड़क पर लाकर खड़ा कर देगी और उनके परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा कर देगी।
सरकार के इस कदम को लेकर कर्मचारी संगठनों में भारी आक्रोश है। सैलजा ने मांग की है कि सरकार को एचकेआरएन के तहत कार्यरत सभी कर्मचारियों को जॉब सिक्योरिटी एक्ट में शामिल करना चाहिए और किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं हटाना चाहिए।