Inkhabar Haryana, Kumari Selja: हरियाणा और पंजाब राज्यों के प्रयासों के बावजूद घग्घर नदी का पानी पीने और सिंचाई के लिए अनुपयुक्त पाया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने यह गंभीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि दोनों राज्य प्रदूषण रोकने के उपाय केवल कागजों पर ही चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि घग्घर नदी का पानी न पीने योग्य और न ही सिंचाई के योग्य है क्योंकि नदी में कुल घुलित ठोस पदार्थ (टीडीएस) का स्तर हरियाणा में 198-1068 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/l) और पंजाब में 248-2010 mg/l पाया गया है, जो इसे पीने और सिंचाई के लिए अनुपयुक्त बनाता है।
सांसद कुमारी सैलजा ने संसद में जल शक्ति मंत्री से इस मुद्दे पर सवाल उठाए थे। जवाब में जल शक्ति मंत्री ने भी स्वीकार किया कि घग्घर नदी का पानी वर्ग ‘E’ (सिर्फ सिंचाई और औद्योगिक उपयोग) की श्रेणी में आता है और इसे पीने योग्य बनाने के लिए पारंपरिक उपचार और कीटाणुशोधन की आवश्यकता है।
नवंबर 2022 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में घग्घर नदी के दो खंड प्रदूषित पाए गए। वर्ष 2023 में जल गुणवत्ता निगरानी के दौरान टीडीएस का स्तर खतरनाक रूप से उच्च पाया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, पानी का टीडीएस स्तर 150-250 एमजी/एल तक सिंचाई के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन घग्घर नदी का पानी इस सीमा से काफी अधिक है।
राज्यों के दावों के विपरीत, नदी के प्रदूषण को रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। जल शक्ति मंत्री ने बताया कि पंजाब ने घग्घर नदी के संरक्षण के लिए 291.7 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) क्षमता के 28 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किए हैं, जबकि 97 एमएलडी क्षमता के 15 एसटीपी अभी निर्माणाधीन हैं। हरियाणा में भी 588 एमएलडी क्षमता के एसटीपी लगाए गए हैं। बावजूद इसके, प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं हो सका है।
घग्घर नदी का पानी न केवल पीने बल्कि सिंचाई के लिए भी अनुपयुक्त है। विशेषज्ञों का कहना है कि 50-150 टीडीएस वाला पानी सर्वोत्तम होता है, जबकि 301-500 टीडीएस को खराब और इससे अधिक को अत्यधिक हानिकारक माना जाता है। नदी के पानी में टीडीएस स्तर अधिक होने से यह सिंचाई के लिए भी उपयुक्त नहीं है। सांसद सैलजा ने इसे प्रशासनिक और पर्यावरणीय विफलता का बड़ा उदाहरण बताया।
सांसद कुमारी सैलजा ने संसद में फतेहाबाद से हिसार वाया अग्रोहा रेल लाइन के विषय में भी सवाल किया। रेल मंत्री ने जवाब में बताया कि हिसार और सिरसा पहले से ही रेलवे नेटवर्क से भट्टू कलां के माध्यम से जुड़े हुए हैं। अग्रोहा के माध्यम से नई रेल लाइन के लिए यातायात अनुमानों को कमजोर पाया गया, जिसके चलते परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया गया। इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि अग्रोहा धाम में ट्रेन की सीटी सुनने का सपना फिलहाल अधूरा रहेगा।