होम / Kumari Sheilja: सरकार खुद ही कर रही है नियमों की अनदेखी- सैलजा

Kumari Sheilja: सरकार खुद ही कर रही है नियमों की अनदेखी- सैलजा

BY: • LAST UPDATED : December 6, 2024

Inkhabar Haryana, Kumari Sheilja: शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सरकार द्वारा नियम बनाए जाते हैं, लेकिन जब नियमों का पालन करने में स्वयं सरकार ही चूकने लगे तो यह जनता के विश्वास को कमजोर करता है। ऐसा ही मामला हरियाणा के हाइवे टोल प्लाजा और बरसाती पानी की निकासी के प्रोजेक्ट्स में सामने आया है। कांग्रेस महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने इन मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।

टोल प्लाजा की दूरी पर नियमों की अनदेखी

सांसद सैलजा ने लोकसभा में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से रोहतक से डबवाली के बीच बनाए गए टोल प्लाजा की दूरी और उनकी संख्या को लेकर सवाल पूछा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के जवाब के आधार पर उन्होंने खुलासा किया कि 6 टोल प्लाजा में से केवल एक ही नियमानुसार है। मंत्रालय के अनुसार, 2 टोल प्लाजा के बीच न्यूनतम दूरी 60 किमी होनी चाहिए, लेकिन रोहतक से डबवाली के बीच मदीना, रामायण, लांधड़ी, भावदीन और खुइया मलकाना टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किमी से कम है।

सांसद ने इसे “नियमों की अनदेखी के साथ जनता की लूट” करार दिया। उन्होंने कहा कि वाहन चालकों को केवल 43 किमी की दूरी तय करने पर ही दोबारा टोल देना पड़ रहा है, जो सरासर गलत है।

जनता की उम्मीदों पर पानी फेर रही सरकार

सांसद ने आरोप लगाया कि महंगाई के इस दौर में सरकार को टोल नियमों में राहत देने की आवश्यकता है। पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दाम पहले से ही जनता पर बोझ डाल रहे हैं। ऐसे में टोल नियमों का उल्लंघन करना भाजपा सरकार की तानाशाही का प्रमाण है। उन्होंने सरकार और मंत्रालय से मांग की कि इन टोल प्लाजा की पुनः मैपिंग की जाए और नियमों के खिलाफ बने टोल को तुरंत हटाया जाए।

बरसाती पानी की निकासी पर करोड़ों खर्च, नतीजा शून्य

सांसद सैलजा ने बरसाती पानी की निकासी के लिए किए गए प्रबंधों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि हिसार से डबवाली के बीच बारिश के पानी की निकासी के लिए दोनों तरफ करीब 41 किमी लंबे नाले बनाए गए हैं, जिन पर 61 करोड़ रुपये खर्च हुए।

हालांकि, सैलजा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि नाले की स्लैब टूट चुकी है और पानी की निकासी का कोई प्रबंधन नहीं है। नाला पूरी तरह अनुपयोगी साबित हो रहा है। उन्होंने इसे “जनता के धन की बर्बादी” करार देते हुए इसकी जांच की मांग की।