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Mahakumbh 2025: महाकुंभ का आज आखिरी शाही स्नान, करोड़ों लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, जानें कब सीएम योगी करेंगे मेले का समापन

BY: • LAST UPDATED : February 26, 2025
Inkhabar Haryana, Mahakumbh 2025: महाशिवरात्रि का पावन त्यौहार आज पूरे देश में बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है, साथ हीं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहें महाकुंभ का आज आखिरी शाही स्नान हैं। मंगलवार रात ही त्रिवेणी संगम पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लग गया था ताकि वह महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान कर सकें। दोपहर 12 बजे तक 1 करोड़ 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। पूरे महाकुंभ के दौरान करोड़ों लोगों की भागीदारी से यह आयोजन ऐतिहासिक बन गया।

समापन की भव्य तैयारियां

महाशिवरात्रि स्नान के साथ आज महाकुंभ का अंतिम आध्यात्मिक अध्याय पूरा हो जाएगा, लेकिन इसका औपचारिक समापन कल 27 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर वे स्वच्छता कर्मचारियों और मेले की व्यवस्था से जुड़े अन्य कर्मियों को सम्मानित करेंगे, जिन्होंने इस विशाल आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

सरकार और प्रशासन की बड़ी सफलता

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने महाकुंभ की सफलता पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि योगी सरकार ने हर स्तर पर बेहतर प्रबंधन किया, जिससे श्रद्धालु सुखद यादें लेकर लौटे। उन्होंने कहा कि पहले दिन से लेकर आज तक महाकुंभ को सकुशल संपन्न कराया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं सभी व्यवस्थाओं पर नजर रखी और जनता की अपेक्षाओं पर सरकार पूरी तरह खरी उतरी।

तकनीक और सुरक्षा का अनूठा संगम

महाकुंभ के सफल आयोजन में उत्तर प्रदेश पुलिस और विभिन्न एजेंसियों ने अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि इस बार भीड़ प्रबंधन और निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का व्यापक उपयोग किया गया। इसकी मदद से किसी भी अप्रिय स्थिति को तुरंत नियंत्रित किया जा सका। डीजीपी ने कहा, “महाकुंभ बिना किसी बड़ी त्रासदी के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जो एक बड़ी उपलब्धि है।”

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विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला

महाकुंभ का आयोजन सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अनूठा धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव है। 45 दिनों तक चले इस महायज्ञ में करोड़ों लोगों ने भाग लिया, संतों के प्रवचनों और आध्यात्मिक गतिविधियों में हिस्सा लिया। गंगा के निर्मल जल में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने मोक्ष की कामना की और सनातन संस्कृति की शक्ति को महसूस किया।

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