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Manoharlal Khattar: हरित ऊर्जा की दिशा में बढ़ते कदम, वाराणसी में हर रोज 600 टन कचरा बनेगा चारकोल, मंत्री मनोहर लाल ने किया निरीक्षण

BY: • LAST UPDATED : February 15, 2025
Inkhabar Haryana, Manoharlal Khattar:  देश में स्वच्छता और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में एक नई क्रांति की शुरुआत हुई है। एनटीपीसी (राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम) ने एक अनूठी पहल के तहत टारफाइड चारकोल प्लांट की स्थापना की है, जो हर दिन 600 टन ठोस कचरे को चारकोल में बदलने की क्षमता रखता है। इस चारकोल का उपयोग बिजली उत्पादन और अन्य औद्योगिक कार्यों में किया जाएगा।

पीएम मोदी ने पहले हरित कोयला संयंत्र की शुरुआत की

शुक्रवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत के विजन को गति देते हुए कचरे से कोयला बनाने वाले देश के पहले हरित कोयला संयंत्र की शुरुआत की थी। संयंत्र में उत्पादित जैव-कोयला मौजूदा पारंपरिक कोयले का एक स्थायी विकल्प माना जाता है जो प्रकृति में प्रदूषण फैलाता है। अब देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की पहल शुरू करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि वाराणसी में कूड़े के ढेर को खत्म कर स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाने की दिशा में सराहनीय पहल की गई है। इस प्लांट से उत्पादित हरित कोयले का उपयोग एनटीपीसी बिजली उत्पादन के लिए कर रही है।

शहरी आवास मंत्री ने हर गतिविधि का बारीकी से किया मुआयना

चारकोल प्लांट के निरीक्षण के दौरान शहरी आवास मंत्री ने कचरे से कोयला बनाने के पूरे प्रोसेस का बारीकी के साथ मुआयना किया कि किस तरह कचरे को क्रेन की मदद से हॉपर में डाला जाता है। कचरे के अंदर मौजूद नमी को प्री-हीटिंग करके हटा कर, फिर बैलिस्टिक सेपरेटर का इस्तेमाल करके कचरे से मिट्टी, लोहा, तांबा और अन्य सामग्री को अलग किया जाता है। सभी कचरे को अलग करने के बाद उसे रिफ्यूज्ड डेरिव्ड फ्यूल (आरडीएफ) प्रक्रिया के तहत पाउडर के रूप में बदल दिया जाता है। कचरे को 250 से 300 डिग्री के तापमान पर थर्मल ट्रीटमेंट दिया जाता है, जिससे कोयले जैसी विशेषताओं वाली छोटी काली राख बनती है। फिर, इसे छलनी से साफ किया जाता है। इसके बाद चारकोल को कुछ मात्रा में बाइंडर और पानी के साथ मिलाकर सुखाया जाता है। अंत में, ग्रीन कोल तैयार होता है।