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Missing son returns home after 29 years: 29 साल बाद घर लौटा लापता बेटा, आंखों में आंसू और दिल में राहत, मां बोली- “भगवान का चमत्कार…”

BY: • LAST UPDATED : May 19, 2025
Inkhabar Haryana, Missing son returns home after 29 years: यह कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी जरूर लगती है, लेकिन हर शब्द सच्चाई पर आधारित है। हरियाणा के अंबाला कैंट के कबीर नगर से 1996 में लापता हुआ 9 साल का संजय करीब 29 साल बाद अपने परिवार के पास लौटा है। उसकी वापसी पर घर में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मां, बहनें और बाकी परिजन उसे देखकर खुद को रोक नहीं पाए—आंखें नम थीं, लेकिन दिल खुशी से भरे हुए।

1996 की एक सुबह जब वह खेलता हुआ ट्रेन में चढ़ गया

संजय ने बताया कि वह करीब 9 वर्ष का था जब एक दिन मंदिर जाने के लिए घर से निकला। रास्ते में खेलते-खेलते वह सब्जी मंडी और फिर अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पहुंच गया। वहां एक ट्रेन में चढ़ गया और सफर शुरू हो गया—एक ऐसा सफर, जो उसे अनगिनत शहरों और अंजान चेहरों के बीच ले गया। ट्रेन में सोने के बाद जब आंख खुली, तो वह खुद को किसी दूसरे शहर में पाया। घर का सही पता न होने के कारण वह वापस नहीं लौट सका और महीनों तक वह रेलवे स्टेशनों पर ही जीता रहा।

ढाबे वाले का सहारा और नई जिंदगी की शुरुआत

वर्ष 2001 में संजय आगरा पहुंचा, जहां उसकी मुलाकात एक ढाबा संचालक इंद्रजीत और उसकी पत्नी गीता से हुई। संतानहीन यह दंपति संजय को अपने साथ ले गया। संजय वहीं रहने लगा और उस परिवार का हिस्सा बन गया। वर्ष 2002 में वे मेरठ और फिर 2004 में ऋषिकेश शिफ्ट हो गए। संजय ने वहां मजदूरी और फैक्ट्री में काम करते हुए अपना जीवन गुजारना शुरू किया। ऋषिकेश में एक फैक्ट्री में काम के दौरान उसकी मुलाकात राधिका से हुई, जहां बल्ब और तार बनाए जाते थे। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और वर्ष 2009 में दोनों ने शादी कर ली। अब संजय के तीन बच्चे हैं—एक बेटा और दो बेटियां। जीवन सामान्य हो चला था, लेकिन दिल के किसी कोने में हमेशा अपने असली परिवार को खोजने की चाह जिंदा रही।

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गूगल बना सहारा, यादों ने दिखाया रास्ता

कई वर्षों बाद एक दिन संजय को याद आया कि उसके बचपन के घर के पास एक पुलिस चौकी थी और उसके सामने एक दरगाह। इस धुंधली सी याद को पकड़ते हुए उसने गूगल पर जगह तलाशनी शुरू की और अंबाला के महेशनगर थाने के पास की लोकेशन पहचान ली। संजय वहां पहुंचा और अपने बचपन की गली में इधर-उधर पूछताछ करने लगा।

गली में ही एक महिला वीना से उसकी बातचीत हुई, जिसने उससे पूछ लिया कि वह किसे ढूंढ रहा है। संजय ने अपना नाम और माता-पिता—वीना और कर्मपाल—का नाम बताया। वीना को यकीन नहीं हुआ, लेकिन संजय जाते वक्त अपना नंबर देकर चला गया। कुछ दिन बाद वीना ने संजय से संपर्क किया। जब वह दोबारा लौटा, तो परिवार ने उससे बचपन के किस्से पूछे, जो सिर्फ वही जान सकता था। यहीं पर सच्चाई स्पष्ट हो गई—संजय वाकई 29 साल बाद अपने घर लौट आया था।

परिवार का भावुक मिलन

संजय की बहन रजनी ने बताया कि जब वह लापता हुआ था, तब से वह उसकी तस्वीर को राखी बांधती थी। अब वह वास्तव में सामने खड़ा था जीवित, सुरक्षित और अपने बच्चों सहित। मां वीना भगवान का धन्यवाद करती नहीं थक रही। उन्होंने बताया कि संजय की गुमशुदगी की शिकायत महेशनगर चौकी में दी गई थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला था। अब इतने वर्षों बाद उनका बेटा सामने खड़ा है यह सपना जैसा लगता है। संजय की पत्नी राधिका भी बेहद खुश है कि उसके पति को आखिरकार उनका असली परिवार मिल गया। अब पूरा परिवार साथ है और संजय अपने बचपन की यादों को ताजा कर रहा है, जिनका एक-एक पल अब किसी खजाने से कम नहीं।