क्या हैं पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, यह घटना सुबह के समय उस वक्त हुई जब स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्राएं बरामदे में पढ़ाई कर रही थीं। तभी एक बंदर अचानक आकर छात्राओं पर झपट पड़ा। हमले के दौरान छात्राओं में अफरा-तफरी मच गई और उनकी चीखें गूंजने लगीं। शोर सुनकर स्कूल स्टाफ मौके पर पहुंचा और किसी तरह बंदर को वहां से भगाया गया। परंतु तब तक छह छात्राएं घायल हो चुकी थीं। बंदर के हमले के तुरंत बाद घायल छात्राओं को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उनका प्राथमिक इलाज किया गया और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। छात्राओं की स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है, लेकिन इस हादसे ने उनके माता-पिता और स्कूल प्रशासन को गहरे सदमे में डाल दिया है।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हमले
स्कूल स्टाफ का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार स्कूल परिसर में बंदरों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया है। कुछ समय पहले एक शिक्षक भी बंदर के हमले का शिकार हो चुके हैं। बावजूद इसके, स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल पाया है। यह उदासीनता सीधे तौर पर प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही को दर्शाती है। स्थानीय लोगों और स्कूल प्रशासन का कहना है कि नगर निगम को बार-बार शिकायतें देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। बताया गया कि बंदरों को पकड़ने के लिए कई बार टेंडर निकाले गए, लेकिन किसी एजेंसी ने जिम्मेदारी उठाने में रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में बंदरों की संख्या और उनका आक्रामक व्यवहार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
पूरे शहर में फैला बंदरों का आतंक
यह समस्या केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है। कॉलोनियों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर भी बंदरों का जमावड़ा आम होता जा रहा है। वे कभी भी किसी पर हमला कर सकते हैं, जिससे आम नागरिकों में भय का माहौल है। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि बंदरों को पकड़ने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाए। केवल टेंडर निकालना और फाइलों में कार्रवाई दर्शाना अब पर्याप्त नहीं है। लोगों का कहना है कि जब तक नगर निगम सक्रिय भूमिका नहीं निभाता, तब तक यह खतरा टला नहीं माना जा सकता।