पिछले वर्ष सितंबर माह में भारी बारिश के कारण गांव की सभी सड़कें जलमग्न हो गईं। गांव के चारों ओर जमा पानी ने गांव का संपर्क पड़ोसी क्षेत्रों और नजदीकी शहरों से तोड़ दिया। हालत यह है कि ग्रामीणों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ट्यूब का सहारा लेना पड़ रहा है। बच्चों को स्कूल जाने के लिए हवा भरे टायर की ट्यूब में बैठकर पानी पार करना पड़ता है।
जलभराव के कारण ग्रामीणों की कृषि व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। खेतों में पानी भरा होने के चलते रबी की फसल की बुआई नहीं हो पाई। मवेशियों के लिए चारा मिलना भी बंद हो गया, जिसके चलते ग्रामीणों को मजबूरी में अपने पशुओं को औने-पौने दामों में बेचना पड़ा। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी, बल्कि जीवनयापन करना भी मुश्किल हो गया है।
गांव के निवासियों का कहना है कि उन्होंने बार-बार जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर जिला प्रशासन जल्द ही जलभराव से राहत के उपाय नहीं करता, तो वे मजबूरन गांव छोड़कर पलायन करेंगे। इससे केवल गांव ही नहीं, बल्कि आसपास का क्षेत्र भी प्रभावित होगा।
नूंह जिले के जैवंत गांव की यह स्थिति जिला प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है। यदि समय रहते जलनिकासी की व्यवस्था की जाती, तो सैकड़ों परिवारों को इस कठिनाई का सामना न करना पड़ता। यह जरूरी है कि प्रशासन इस समस्या को प्राथमिकता देकर समाधान निकाले ताकि ग्रामीणों का जीवन फिर से पटरी पर आ सके।
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