Inkhabar Haryana, Rakesh Tikait on Haryana Punjab Water Conflict: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और वरिष्ठ किसान नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा के गांव मोहम्मदपुर का नंगला पहुंचकर पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए भारतीय जवान दिनेश कुमार को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने शहीद के परिवार से मुलाकात कर उन्हें ढाढ़स बंधाया और देश के लिए उनके बेटे के सर्वोच्च बलिदान को नमन किया।
शहीद किसी एक का नहीं, पूरे देश का होता है- टिकैत
टिकैत ने कहा कि दिनेश कुमार का बलिदान सिर्फ उनके परिवार या गांव का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। उन्होंने सरकार से मांग की कि शहीद दिनेश कुमार के नाम पर कोई खेल स्टेडियम या अन्य स्मृति स्थल बनाया जाए ताकि उनका नाम आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहे और युवा उनसे प्रेरणा लेकर सेना में शामिल होने को प्रोत्साहित हों।
सीजफायर और पाकिस्तान के साथ संबंधों पर बोले टिकैत
सीजफायर और पाकिस्तान के साथ सीमा पर हालात को लेकर टिकैत ने कहा कि यह पूरी तरह सरकार और सेना का विषय है। आम जनता या किसान संगठन इसमें कोई टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर के निर्णय होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जो भी उचित निर्णय लेना होगा, वह सरकार ही लेगी।
हरियाणा-पंजाब जल विवाद पर स्पष्ट राय
हरियाणा और पंजाब के बीच लंबे समय से चल रहे जल विवाद पर टिकैत ने कहा कि यह दोनों राज्यों का पुराना मुद्दा है, लेकिन इसका समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि भारत में पानी की कोई कमी नहीं है, समस्या सिर्फ उसे नियंत्रित करने की क्षमता की है। यदि वर्षा के पानी और बहते जल को नियंत्रित कर लिया जाए और बड़े स्तर पर डैम बनाए जाएं, तो न केवल हरियाणा और पंजाब बल्कि राजस्थान जैसे सूखाग्रस्त राज्यों को भी पर्याप्त पानी मिल सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पानी सबके लिए है, बस ज़रूरत है कि उसे रोकने और संभालने की टेक्नोलॉजी और क्षमता विकसित की जाए। बरसात का बहुत सारा पानी समुद्र में चला जाता है, जिसे यदि रोक लिया जाए, तो जल संकट काफी हद तक खत्म हो सकता है।
भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोके जाने पर प्रतिक्रिया
भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोके जाने के मुद्दे पर उन्होंने इसे ‘टेक्निकल इशू’ बताते हुए कहा कि यह भी सरकार और विशेषज्ञों का विषय है। किन परिस्थितियों में क्या कदम उठाना है, यह पूरी तरह से सरकार का कार्यक्षेत्र है। उन्होंने दोहराया कि किसान संगठन इस तरह के अंतरराष्ट्रीय मामलों पर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं।