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Rock Garden: चंडीगढ़ में चला चिपको आंदोलन, इस गार्डन को बचाने के लिए उतरे स्थानीय निवासी

BY: • LAST UPDATED : March 5, 2025
Inkhabar Haryana, Rock Garden: चंडीगढ़ का प्रसिद्ध रॉक गार्डन और उसके आसपास का हरित क्षेत्र इस समय एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। सड़क चौड़ीकरण परियोजना के कारण यहां की ऐतिहासिक दीवार के एक हिस्से को गिराने और कई पेड़ों को काटने की योजना बनाई गई है, जिससे पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है। लंबे समय से इस परियोजना के खिलाफ विरोध जारी है, लेकिन प्रशासन ने निर्माण कार्य रोकने के कोई संकेत नहीं दिए हैं। अब यह लड़ाई एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है, जहां लोग अपने प्रयासों को और अधिक तेज़ कर रहे हैं।

बढ़ते विरोध प्रदर्शन और डिजिटल अभियान

नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना के खिलाफ कई तरह के विरोध प्रदर्शन किए हैं, जिसमें दो बड़े हस्ताक्षर अभियान भी शामिल थे। हालाँकि, इसके बावजूद निर्माण कार्य जारी रहने से निराश होकर अब नागरिकों ने ईमेल अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, सांसद मनीष तिवारी, यूटी सलाहकार, वन विभाग, भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग विभाग और शहरी नियोजन विभाग को ईमेल भेजे जा रहे हैं। इसमें लोगों ने मांग की है कि इस परियोजना को तत्काल रोका जाए और इस पर पुनर्विचार किया जाए।

‘चिपको आंदोलन’ की तर्ज पर विरोध प्रदर्शन

‘चंडीगढ़ बचाओ’ समूह के नेतृत्व में 4 मार्च को शाम 5.30 बजे रॉक गार्डन में ‘चिपको आंदोलन’ की तर्ज पर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस विरोध में पर्यावरणविद, छात्र, कलाकार और आम नागरिक शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक रूप से पेड़ों को गले लगाकर यह संदेश दिया कि हरित क्षेत्रों और ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा जरूरी है।

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जनभावना की अनदेखी से बढ़ा आक्रोश

स्थानीय नागरिकों को जब यह पता चला कि प्रशासन भारी मशीनरी और श्रमिकों के साथ सड़क चौड़ीकरण परियोजना पर काम कर रहा है, तो वे स्तब्ध रह गए। वे मानते हैं कि इस परियोजना से चंडीगढ़ के हरित क्षेत्र को गंभीर नुकसान होगा और रॉक गार्डन की ऐतिहासिकता भी खतरे में पड़ जाएगी। नागरिकों का कहना है कि विकास के नाम पर प्राकृतिक धरोहरों को नष्ट करना एक विनाशकारी कदम है।

कार्यकर्ता आर. के. गर्ग ने प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यूटी इंजीनियरिंग विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से आवश्यक मंजूरी प्राप्त किए बिना ही परियोजना की निविदाएं जारी कर दीं। उन्होंने प्रशासन से इस परियोजना से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक करने और जनता के साथ सार्थक संवाद करने की मांग की है।