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Sex ratio in Karnal: करनाल बना हरियाणा में लिंगानुपात सुधार का सिरमौर

BY: • LAST UPDATED : March 11, 2025
Inkhabar Haryana, Sex ratio in Karnal: हरियाणा में “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” अभियान अब जन आंदोलन का रूप ले चुका है। इस पहल का असर करनाल जिले में भी देखने को मिला है, जहां लिंगानुपात में ऐतिहासिक सुधार दर्ज किया गया है। वर्ष 2024 में करनाल में 1,000 लड़कों पर 926 लड़कियों का जन्म दर्ज किया गया, जो राज्य में सर्वाधिक है। इस उपलब्धि के लिए करनाल जिला प्रशासन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पंचकूला में आयोजित राज्य स्तरीय महिला सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अतिरिक्त उपायुक्त यश जालुका और महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सीमा प्रसाद को 2.5 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

लिंगानुपात में कैसे हुआ सुधार?

अगर आंकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2014 में करनाल जिले का लिंगानुपात 886 था, जो 2018 में बढ़कर 934 हुआ। हालांकि, 2023 में यह घटकर 908 रह गया था, लेकिन 2024 में इसे सुधारकर 926 तक पहुंचा दिया गया। यह आंकड़ा 2014 की तुलना में 40 अंक अधिक है। सरकार और प्रशासन द्वारा कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने और लिंगानुपात सुधारने के लिए कई योजनाएं चलाई गईं। इनमें प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना और “आपकी बेटी-हमारी बेटी” जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं शामिल हैं, जो महिलाओं को आर्थिक सहायता और जागरूकता प्रदान करती हैं।

सख्त निगरानी और जागरूकता अभियान का असर

करनाल के सिविल सर्जन डॉ. लोकवीर ने बताया कि यह सफलता विभाग की टीम वर्क का नतीजा है। करनाल और यमुनानगर जिलों में लिंगानुपात सुधारने के लिए पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत सख्त निगरानी रखी गई। भ्रूण हत्या रोकने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए गए, जिससे बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदला। करनाल की उप सिविल सर्जन डॉ. शीनू शर्मा ने बताया कि सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में बिना पंजीकरण के अल्ट्रासाउंड करने पर रोक लगा दी गई है। 2024 से गर्भवती महिलाओं का अनिवार्य पंजीकरण शुरू किया गया, जिससे अवैध गर्भपात पर कड़ी नजर रखी जा सके।

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बच्चे गोद लेने के लिए बढ़ रही जागरूकता

डॉ. शीनू शर्मा ने यह भी बताया कि बाल कल्याण समिति (CWC) के पास 20,000 से अधिक ऐसे दंपती हैं जो बच्चों को गोद लेने के इच्छुक हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि कोई माता-पिता तीसरी या चौथी बेटी होने पर उसे नहीं पाल सकते, तो वे सीडब्ल्यूसी से संपर्क कर सकते हैं, लेकिन भ्रूण हत्या जैसा घृणित अपराध न करें।

करनाल का मॉडल बन सकता है उदाहरण

करनाल की इस सफलता से साबित होता है कि सही रणनीति और टीम वर्क से सामाजिक बुराइयों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। सरकार, प्रशासन और समाज के सामूहिक प्रयासों से करनाल ने पूरे प्रदेश में लिंगानुपात सुधार की नई मिसाल पेश की है। यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है।
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