Advertisement
Advertisement
होम / SurajKund Mela 2025: सूरजकुंड मेला की बेहतरीन व्यवस्था से शिल्पकार दिखें प्रसन्न, सीएम नायब सैनी और पर्यटन मंत्री का जताया आभार

SurajKund Mela 2025: सूरजकुंड मेला की बेहतरीन व्यवस्था से शिल्पकार दिखें प्रसन्न, सीएम नायब सैनी और पर्यटन मंत्री का जताया आभार

BY: • LAST UPDATED : February 17, 2025
Inkhabar Haryana, SurajKund Mela 2025: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित “38वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला” शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो रहा है। यह विश्वविख्यात मेला न केवल भारतीय संस्कृति और हस्तकला का संगम है, बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी शिल्पकारों के लिए सुनहरा अवसर प्रदान करता है। मेले में देशभर से आए शिल्पकारों को अपने हुनर को प्रदर्शित करने और अपनी कारीगरी को वैश्विक पहचान देने का अवसर मिल रहा है। इस आयोजन में हरियाणा सरकार द्वारा की गई उत्कृष्ट व्यवस्थाओं की सभी शिल्पकारों ने सराहना की और सीएम नायब सिंह सैनी व पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद कुमार शर्मा का आभार व्यक्त किया।

 हर बार मिले मेले में भागीदारी का अवसर- शिल्पकार

मध्य प्रदेश के थीम स्टेट परिसर में स्टॉल नंबर-155 की संचालिका मीरा मोरे ने हरियाणा सरकार द्वारा दी गई उत्कृष्ट सुविधाओं पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि हमें हर बार सूरजकुंड मेले में बुलाया जाए।” उनकी स्टॉल पर जूट और कॉटन के कपड़े जैसे साड़ी, सूट और बैग उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 500 रुपये से 5000 रुपये तक है। इन उत्पादों को उनके समूह द्वारा तैयार किया जाता है, जो मध्य प्रदेश की पारंपरिक कारीगरी का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

खजूर शिल्पकारी को बढ़ावा देते सुधाकर खडसे

थीम स्टेट मध्य प्रदेश की स्टॉल नंबर-152 के संचालक सुधाकर खडसे अपने खजूर के पत्तों से तैयार की गई शिल्पकारी से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। उनकी स्टॉल पर खजूर के पत्तों से बनी झाड़ू, गुलदस्ते और बच्चों के खिलौने उपलब्ध हैं। सुधाकर विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों को इस कला में प्रशिक्षित भी करते हैं। पहली बार मेले में भाग ले रहे सुधाकर ने मेले की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा, “हम सरकार और मेला प्रशासन के बार-बार आभारी हैं।”

गोबर से बनी धूपबत्ती और अगरबत्ती की बढ़ती लोकप्रियता

थीम स्टेट मध्य प्रदेश के स्टॉल नंबर-170 की संचालिका नीतादीप वाजपेयी ने अपने इको-फ्रेंडली उत्पादों के बारे में बताया। उनके स्टॉल पर गाय के गोबर से बनी धूपबत्ती और अगरबत्ती को पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। नीतादीप ने हरियाणा सरकार द्वारा गौ संवर्धन के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की और अन्य राज्यों को भी इसी दिशा में कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने सूरजकुंड मेले में आमंत्रण देने के लिए हरियाणा सरकार का विशेष रूप से धन्यवाद दिया।

Advertisement

पेपर वेस्ट से बनी कलाकृतियां

थीम स्टेट ओडिशा के स्टॉल नंबर-146 की संचालिका ममता ओझा अपने पेपर वेस्ट से तैयार की गई सुंदर व आकर्षक पेंटिंग और कलाकृतियों के लिए जानी जाती हैं। पर्यटकों को यह कला बेहद आकर्षक लग रही है। ममता ने बताया कि उनका स्वयं सहायता समूह इन पेंटिंग्स को रिसाइकल पेपर और इमली से बनी प्राकृतिक गोंद का उपयोग करके तैयार करता है। अब तक 100 से अधिक महिलाओं को इस कला में प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है। उन्होंने भी हरियाणा सरकार का आभार व्यक्त किया।

ताड़पत्र पर चित्रकारी, पुरानी संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास

ओडिशा परिसर के स्टॉल नंबर-145 के संचालक रामचंद्रन ताड़पत्र (पाम लीफ) पर की गई बारीक चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। वे इस कला के माध्यम से प्राचीन संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने सूरजकुंड मेले को शिल्पकारों के लिए व्यापारिक दृष्टि से एक उत्कृष्ट मंच बताया और मेला प्रशासन की बेहतरीन व्यवस्थाओं की सराहना की।

नारियल के छिलकों से बने खिलौनों की लोकप्रियता

ओडिशा परिसर के स्टॉल नंबर-112 पर बच्चों की भीड़ देखने लायक है। इस स्टॉल के संचालक अजय कुमार द्वारा नारियल के छिलकों से हाथी, घोड़ा और हिरण जैसे सुंदर खिलौने बनाए गए हैं। उनके 30 सदस्यीय संयुक्त समूह द्वारा तैयार किए गए इन खिलौनों की भारी मांग है। पहली बार मेले में भाग लेने वाले अजय कुमार ने मेले की व्यवस्थाओं से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री का आभार व्यक्त किया और अगली बार भी भाग लेने की इच्छा जताई।

Advertisement