Inkhabar Haryana, Vinay Narwal: हरियाणा के करनाल जिले में रविवार को एक भावुक माहौल के बीच देश के शहीद सपूत, भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को श्रद्धांजलि दी गई। डॉ. मंगलसेन ऑडिटोरियम में आयोजित रस्म पगड़ी की श्रद्धांजलि सभा में विनय के परिवार, रिश्तेदारों और सैकड़ों लोगों ने उनकी शहादत को सलाम किया। वहीं विनय की बहन सृष्टि नरवाल द्वारा साझा की गई यादें और भावनाएं हर किसी की आंखें नम कर गईं।
दादा और पत्नी ने दी अंतिम सलामी
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा किए गए हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया। विवाह के केवल सात दिन बाद ही देश सेवा के पथ पर निकले विनय को आतंकियों ने गोली मार दी। यह खबर उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे करनाल और देश के लिए एक गहरा आघात थी। कार्यक्रम में विनय के दादा हवा सिंह और पत्नी हिमांशी ने उनकी तस्वीर को सैल्यूट करते हुए आंसुओं के साथ अंतिम विदाई दी। रस्म पगड़ी के दौरान हिमांशी भावुक हो उठीं और ससुर राजेश उन्हें दिलासा देते दिखे। पूरे माहौल में वीरता और विछोह का अद्भुत संगम नजर आया।
सृष्टि की आंखों से छलकती भावनाएं
लेफ्टिनेंट विनय की बहन सृष्टि नरवाल ने मंच से जो बातें कहीं, वो सिर्फ एक बहन की पीड़ा नहीं, बल्कि हर उस परिवार की आवाज थी जिसने देश को अपना लाल खोया है। उनकी बातों में न सिर्फ विनय की यादें थीं, बल्कि उस रिश्ते की गहराई भी थी जो शब्दों से परे होती है।
सृष्टि ने कहा कि डिअर विनय, मेरे भैया, मैंने कभी सोचा नहीं था कि जिसे मैंने अपने जीवन के पहले दिन से देखा, जिसे मैंने अपना आदर्श माना, आज उसकी अंतिम यात्रा में कंधा दूंगी। विनय लेफ्टिनेंट बनने से पहले मेरे लिए मेरा बड़ा भाई था। वो भाई जिसने कभी पटाखों से डरने पर मुझे आग से दूर रखा, आज उसी भाई को मैंने अग्नि दी। जो कभी मुझे रोते नहीं देख सकता था, आज खुद ही कहीं नहीं है कि मेरी आंखें पोछ सके।
अभी भी यकीन नहीं हो रहा
सृष्टि ने कहा कि सच कहूं तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि विनय अब हमारे बीच नहीं है। लेकिन जब तक मैं जिंदा हूं, विनय रहेगा। उसकी हंसी, उसका जुनून, उसकी मासूमियत सब कुछ हमारे दिलों में अमर है। ऐसा लग रहा जैसे किसी ने मेरे शरीर का अंग अलग कर दिया हो। सृष्टि की ये बात हर किसी के दिल में उतर गई। उन्होंने विनय की पसंद का ज़िक्र करते हुए कहा कि चूरमा उसका फेवरेट था। जब हम छोटे थे मां हमें चूरमा खिलाती थी, फिर वो हमें बनाकर खिलाता था। मैं कहती थी जब तेरे बच्चे होंगे, मैं उन्हें चूरमा खिलाऊंगी।
सरप्राइज देना विनय को पसंद था- सृष्टि
सृष्टि ने बताया कि विनय को अपने दादा-दादी को सरप्राइज देने का बहुत शौक था। वो जब भी कोच्चि से छुट्टी आता, बिना बताए रात को उनके बीच सो जाता और सुबह जब आंख खुलती तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं होता। विनय की शादी की तैयारियों में पूरा परिवार डूबा था। घर में रौनक थी, हंसी थी, उम्मीदें थीं। लेकिन 22 अप्रैल की सुबह वो खबर आई जिसने सब कुछ बदल दिया। एक पल में खुशियों का घर मातम में बदल गया।