Inkhabar Haryana, Bhiwani News: भिवानी जिले के झुप्पा कलां गांव में एक ऐसी अनूठी शादी हुई, जिसने पर्यावरण संरक्षण और दहेज प्रथा के खिलाफ एक नई पहल की मिसाल पेश की। सरकारी नौकरी में कार्यरत जुड़वा भाई प्रदीप और प्रवीन नेहरा ने अपनी शादी को पर्यावरण सुधार और सामाजिक बदलाव का माध्यम बनाया।
जहां हरियाणा में शादियों में दहेज में महंगी गाड़ियों की मांग आम है, वहीं इन भाइयों ने दहेज में कुछ भी लेने से इंकार किया। उन्होंने अपनी शादी में आए सैकड़ों मेहमानों को फूलदार, फलदार और छायादार पौधे उपहार में दिए। उन्होंने कहा कि दहेज में ली गई गाड़ी या अन्य सामान कुछ सालों में बेकार हो जाता है, लेकिन ये पौधे दशकों तक फल-फूल देंगे और पर्यावरण को शुद्ध बनाएंगे।
प्रदीप और प्रवीन, जिनमें से एक सरकारी क्लर्क और दूसरा कॉलेज में लेक्चरर हैं, आसानी से दहेज में महंगी कार जैसे उपहार पा सकते थे। लेकिन उन्होंने इस कुप्रथा के खिलाफ कदम उठाते हुए न केवल बिना दहेज शादी की, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि हर युवा को बिना दहेज के शादी करनी चाहिए और मेहमानों को पौधे उपहार में देने चाहिए। इससे न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि दहेज के कारण होने वाली हत्याओं को भी रोका जा सकेगा।
दुल्हों के पिता दर्शनानंद नेहरा ने बताया कि उनकी शादी में हर मेहमान को पौधे दिए गए। उन्होंने कहा, “हमने यह फैसला किया था कि शादी में दहेज के नाम पर एक रुपया भी नहीं लेंगे। पौधे बांटने का मकसद पर्यावरण को शुद्ध बनाना है और यह संदेश देना है कि हर कोई इस परंपरा को आगे बढ़ाए।”
सात फेरों के बाद पर्यावरण प्रेमी लोकराम नेहरा ने जुड़वा दुल्हों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई। यह शादी केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य की नींव रखने का प्रयास थी।