शाम करीब 6:30 बजे पुलिस दोनों युवाओं को लेकर कलायत स्थित महाराणा प्रताप समुदाय केंद्र के सामने पहुंची। यहां पहले से परिजन और पंचायत सदस्य उनका इंतजार कर रहे थे। जैसे ही दोनों युवक पहुंचे, परिवार की आंखें नम हो गईं और उन्हें गांव लेकर जाया गया। गांव मटौर का 18 वर्षीय सुशील एक प्रतिभाशाली कबड्डी खिलाड़ी रहा है। उसके चाचा कृष्ण ने बताया कि सुशील ने कई टूर्नामेंट्स में शानदार प्रदर्शन किया और प्रदेश के लिए पदक जीते। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसके माता-पिता अजमेर सिंह और सुदेश रानी ने उसे विदेश भेजने का फैसला किया। उन्हें उम्मीद थी कि सुशील विदेश में अच्छी नौकरी कर परिवार का सहारा बनेगा।
परिवार ने सुशील को अमेरिका भेजने के लिए अपनी डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी और करीब 40-50 लाख रुपए खर्च किए। लेकिन यह सपना छह महीने में ही टूट गया और अब वह खाली हाथ वापस लौट आया। सुशील की मां सुदेश रानी ने कहा कि मेरे बेटे की तरह अमेरिका से जो युवा लौटे हैं, वे भी मेरे बेटे जैसे ही हैं। सरकार को इन सभी युवाओं की मदद करनी चाहिए, ताकि वे मानसिक तनाव से बच सकें।
हर साल हजारों युवा बेहतर भविष्य की तलाश में एजेंटों के झांसे में आकर डोंकी रूट का खतरनाक सफर अपनाते हैं। इस सफर में कई युवाओं को जान तक गंवानी पड़ती है और जो बचते हैं वे या तो डिपोर्ट होकर लौट आते हैं या अमेरिका में दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर होते हैं। गांव के सरपंच रमेश कुमार ने कहा कि हमारी सरकार से अपील है कि जो एजेंट लोगों को ठग रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। जो युवा डिपोर्ट होकर लौटे हैं, उनके लिए सरकार पुनर्वास की योजना लाए।