पुनीत दत्ता पहले विदेश में एक अच्छी नौकरी कर रहे थे, लेकिन जब वे भारत आए और वृंदावन घूमने गए, तो उन्होंने यमुना नदी में तैरती थर्माकोल की प्लेटें देखीं। यह दृश्य उन्हें झकझोर गया। उसी दौरान उन्होंने एक साधु को देखा, जो हाथ में पूरियां रखकर सब्जी डलवा रहे थे और खाने के बाद अपने हाथों को साफ कर लिया। यहीं से उन्हें एक अनोखा विचार आया – ऐसा कप या प्लेट बनाई जाए जिसे खाने के बाद फेंकने की जरूरत न हो, बल्कि उसे खाया जा सके।
पुनीत ने इस आइडिया पर काम करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और 2013 से रिसर्च में जुट गए। हालांकि, शुरू में कई कठिनाइयां आईं। उन्होंने देखा कि कई कंपनियाँ पहले से ही खाने योग्य कप और प्लेट बना रही थीं, लेकिन उनमें एक बड़ी समस्या थी – वे गर्म तरल को सहन नहीं कर पाते थे। एक दिलचस्प घटना ने उन्हें नए समाधान की ओर मोड़ा। उनके जर्मनी के कुछ दोस्त कुतुब मीनार देखने गए थे, जहां एक टूर गाइड ने मजाक में कहा कि कुतुब मीनार गुड़ से बनी हुई है। मजाक-मजाक में उनके दोस्त ने पत्थर का एक टुकड़ा उठाकर पुनीत को दिया और कहा कि इसे उनके सूप में डाल दिया जाए। इस वाकये से पुनीत के दिमाग में एक नया विचार आया – क्यों न गुड़ का उपयोग करके ऐसा प्रोडक्ट बनाया जाए जो मजबूत भी हो और खाने योग्य भी।
इस सफर में उन्होंने कई त्याग किए – घर बिक गया, गहने बेचने पड़े, यहाँ तक कि पत्नी का मंगलसूत्र तक गिरवी रखना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 2019 में अपने प्रयोग को सफल बना लिया। उन्होंने गुड़ में विभिन्न फ्लेवर्स मिलाकर खाने योग्य कप तैयार किए।
पुनीत बताते हैं कि उनके प्रोडक्ट और अन्य खाने योग्य कप के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं:
आज पुनीत के खाने योग्य कप की कीमत 25 से 30 रुपए के बीच है। उनका बिजनेस अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और सरकार भी उनका समर्थन कर रही है। उन्होंने इस प्रोडक्ट के लिए मशीनरी का पेटेंट भी करा लिया है। अब वे अपने घर और बाकी खोई हुई चीजों को वापस पाने की उम्मीद कर रहे हैं।
पुनीत ने इस प्रोडक्ट को भारत में ही बनाने का फैसला किया क्योंकि यहां गन्ना आसानी से उपलब्ध है, जबकि विदेशों में इसकी आपूर्ति कठिन है। भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए उन्होंने स्टार्टअप की शुरुआत यहीं से की। उनका उद्देश्य केवल व्यापार करना नहीं, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखना है। उनके इस अनोखे इनोवेशन से प्लास्टिक और थर्माकोल जैसे हानिकारक कचरे को कम करने में मदद मिल रही है।