Inkhabar Haryana, Gurugram AQI: गुरुग्राम जिसे आजकल साइबर सिटी के नाम से जाना जाता है, की आबोहवा दिन-ब-दिन जहरीली होती जा रही है। हाल ही में गुरुग्राम का AQI 370 के पार पहुंच चुका है, जो खतरनाक स्तर पर है और शहर के निवासियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करता है। वायु प्रदूषण ने गुरुग्राम की आबोहवा को इस कदर प्रभावित किया है कि इसे अब एक गैस चैंबर की तरह महसूस किया जा रहा है।
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गुरुग्राम में प्रदूषण की रोकथाम के लिए ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत ग्रेप 2 नियम लागू किए गए हैं। हालांकि, इन नियमों का पालन करने में गंभीर लापरवाही दिखाई दे रही है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों के बावजूद, निर्माण कार्यों, जलती आगों और सार्वजनिक परिवहन की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण नियमों का उल्लंघन जारी है।
ग्रेप 2 के तहत कंस्ट्रक्शन कार्यों पर रोक, सड़कों पर धूल नियंत्रण के उपाय और वाहनों के धुएं की जांच जैसी सख्त कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन इन दिशा-निर्देशों का पालन कहीं नजर नहीं आ रहा।
गुरुग्राम में ट्रैफिक जाम भी प्रदूषण के मुख्य कारणों में शामिल है। व्यस्त इलाकों में भारी जाम और वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि से वायु गुणवत्ता में और गिरावट हो रही है। वाहन प्रदूषण और सीएनजी व अन्य ईंधनों से होने वाली गैसों के कारण हवा में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड्स, और पार्टिकुलेट मैटर (PM) की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है, जो सांस लेने में दिक्कत और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं।
गुरुग्राम में बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हृदय संबंधी समस्याओं के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा खतरा है। प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण लोग बाहर निकलने में भी संकोच करने लगे हैं।
गुरुग्राम की वर्तमान स्थिति में तत्काल समाधान की आवश्यकता है। प्रशासन को प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करना होगा और नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराना होगा। प्रदूषण कम करने के लिए सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, और निर्माण कार्यों में प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने की जरूरत है। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और धूल नियंत्रण की पुख्ता योजना बनाना भी जरूरी होगा।
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